हैदराबाद : कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में जारी है. संक्रमित और मृत लोगों की बढ़ती संख्या के साथ, विशेषज्ञ इस महामारी को खत्म करने का इलाज खोजने में जुटे हुए हैं.
कोविड-19 की समस्या को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक उन युवा, स्वस्थ वयस्कों और बच्चों के डीएनए का अनुक्रमण कर रहे हैं, जो किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित न होने के बावजूद भी कोरोना की चपेट में आए हैं.
इसके मद्देनजर शोधकर्ता उन आनुवंशिक दोषों की तलाश कर रहे हैं, जो किसी के लिए भी कोरोना वायरस से पीड़ित होने का जोखिम बढ़ा सकते हैं.
सेंट लुइस (St. Louis) में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (Washington University School of Medicine) में मैकडॉनेल जीनोम इंस्टीट्यूट (McDonnell Genome Institute) युवा, स्वस्थ वयस्कों और उन बच्चों के डीएनए का अनुक्रमण करने के लिए एक अध्ययन कर रहा है, जो किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित न होने के बावजूद भी कोरोना की चपेट में आए हैं.
बता दें, मैकडॉनेल जीनोम इंस्टीट्यूट (McDonnell Genome Institute) दुनियाभर में भाग लेने वाले 30 से अधिक जीनोम अनुक्रमण केंद्रों में से एक है.
शोधकर्ता ऐसे लोगों का भी अध्ययन करेंगे, जो कोरोना वायरस के बार-बार उजागर होने के बावजूद भी अब तक संक्रमित नहीं हुए हैं. कोविड-19 के चरम को समझना इस बीमारी के लिए नई चिकित्सीय रणनीतियों को जन्म दे सकता है.
शोधकर्ताओं ने उन लोगों का अध्ययन करने की भी योजना बनाई है, जो बार-बार होने वाले जोखिम के बावजूद, कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित नहीं होते हैं. ऐसे व्यक्तियों में आनुवंशिक परिवर्तन हो सकते हैं, जो संक्रमण से बचाते हैं.
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में शोध का नेतृत्व कर रहे पीडियाट्रिक्स के एसोसिएट प्रोफेसर एमडी, पीएचडी रुमेटोलॉजिस्ट मेगन ए कूपर (Megan A. Cooper) ने कोविड ह्यूमन जेनेटिक एफर्ट की शुरुआत की.