नई दिल्ली : मालिनी अवस्थी वो नाम है, जिसने अवधी, बुंदेली और भोजपुरी गीतों में नई मिठास भर दी. संगीत के 'सुरसंग्राम' में उतरकर समाज के उन लोगों को चुनौती दी, जो भोजपुरी गाने को गाने से शर्म करते थे. मालिनी जब भी ठुमरी और कजरी के साथ किसी भी विधा का लोकगीत प्रस्तुत करती हैं, कुछ वक्त के लिए कान कुछ और सुनने को राजी नहीं होते हैं.
11 फरवरी को कन्नौज के डॉक्टर परिवार में जन्मी मालिनी ने लोकगीत की दुनिया में ऐसा मुकाम बनाया कि लोग उनकी दीवाने होते गए. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ETV भारत से न सिर्फ उन्होंने अपने निजी जीवन के बारे में खुलकर बात की बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी.
इस वजह से लोकसंगीत की तरफ बढ़ीं मालिनी
'भगवान के भरोसे मत बैठो क्या पता भगवान आपके भरोसे बैठा हो' इसी कहावत के साथ उन्होंने कहा कि, 'मुकाम हासिल करने के लिए खुद को ही आगे बढ़ना होगा.' उन्होंने कहा कि, 'इंसान जिन संस्कारों के साथ पलता बढ़ता है, उसी पर चलता रहता है. लेकिन मुझे नहीं पता था लोक कलाकार बनूंगी.' मालिनी संगीत के सफर के बारे में बताती हैं कि, 'मुझे लगा के लोक कला, लोक संस्कृति पर लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसी कारण मैंने लोक संगीत की ओर कदम बढ़ाया.'
संगीत की शुरुआत चिंता से हुई
मालनी कहती हैं कि, 'लोग किसी न किसी उद्देश्य के साथ लोक संगीत में आते हैं. मैंने लोक संगीत की शुरुआत चिंता के साथ शुरू की है.' उन्होंने पहले के जमाने का जिक्र करते हुए कहा कि, 'एक समय ऐसा आया कि ढोल-नगाड़े सब गायब हो गए और पुराने अच्छे गाने की जगह फुहड़ गानों ने ले ली. इस चिंता के साथ मैं इस क्षेत्र में आगे बढ़ी ताकि लोक संगीत को बचाया जा सके.'
संगीत जगत में बहुत है चुनौती: मालिनी
लोक गायिका अवस्थी कहती हैं कि, 'इस संगीत को लेकर मैंने जो बचपन से देखा था, सुना था, वहीं काम लोगों तक पहुंचाना शुरू कर दिया.' उन्होंने संगीत जगत से जुड़े लोगों के लिए कहा कि, 'गाने के बीच चुनौती बहुत आती है, इसलिए सबको बैलेंस करके चलना पड़ता है'. वे कहती हैं कि, 'सोशल मीडिया ने बहुत सहारा दिया है कि आप खुद को एक्सप्रेस कर सकते हैं.'