देहरादून :आ गई वह शुभ घड़ी, जब पांच अगस्त 2020 को राममंदिर ही नहीं एक नए युग का भी भूमिपूजन होना है. 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे तो हिंदुओं की 500 साल पुरानी मुराद पूरी होगी. इस दिन तक पहुंचने के लिए हिंदुओं ने बहुत संघर्ष किए. राम मंदिर के लिए कारसेवा हुई. कई लोगों ने राम मंदिर के लिए अपने प्राण दिए. उस आंदोलन का हिस्सा रहे दो खास लोगों के जेहन में वो दृष्य आज भी ताजा हैं.
राम मंदिर आंदोलन के योद्धा उमेश कुमार श्रीवास्तव की यादें
हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ भगवान श्री राम का ये मंदिर काफी जद्दोजहद के बाद अब बनने जा रहा है. इसके पीछे कई लोगों के बलिदान हैं. राम मंदिर संघर्ष के पीछे कई लोगों की भूमिका रही है. इनमें हरिद्वार के संत और आम नागरिक भी हैं जिन्होंने राम मंदिर के लिए काफी संघर्ष किया है. अब जब राम मंदिर बनने जा रहा है तो राम मंदिर आंदोलन से जुड़े हुए लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद करते हुए अपने बीते दिनों की याद ताजा कर रहे हैं. बता रहे हैं कि किस तरह उन्होंने राम मंदिर के लिए संघर्ष किया. उन्होंने और उनके साथियों ने राम मंदिर निर्माण के लिए कितने कष्ट झेले.
पहले चरण से ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़े थे उमेश श्रीवास्तव
बीते दिनों को याद करते हुए विश्व हिंदू परिषद के हरिद्वार जिले के तत्कालीन महामंत्री उमेश कुमार श्रीवास्तव बनाते है कि हम लोग श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रथम चरण से ही विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हुए थे. उस समय मैं विश्व हिंदू परिषद का हरिद्वार से जिला महामंत्री हुआ करता था.
मुलायम ने किया था ऐलान- 'परिंदा भी पर नहीं मार सकता है'
जब 30 अक्टूबर 1990 को अशोक सिंघल ने कार सेवा का आह्वान किया तो मुलायम सिंह यादव ने ऐलान किया कि अयोध्या में 'परिंदा भी पर नहीं मार सकता है'. हम हरिद्वार क्षेत्र से 5 लोग दीपावली के त्योहार से पहले ही अयोध्या की ओर निकल पड़े. उस वक्त अयोध्या के हालात ठीक नहीं थे. अयोध्या में कार सेवकों को घर से निकाल कर मारा-पीटा जाता था.
जिस घर में रुके वहां पुलिस मारती थी छापा
जिस स्थान पर हम रहा करते थे, वहां पर एक पंडित जी थे जिन्होंने हमें अपने घर पर रहने को स्थान दिया था. हालात कुछ ठीक नहीं थे. जिनके घर पर कारसेवक मिलते थे उन्हें भी बहुत मारा जाता था. इसके बावजूद भी पंडित जी ने हमें अपने घर पर रखा. उस समय हमें ऐसा लगता था कि शायद ही हम घर वापस जा पाएंगे. क्योंकि अयोध्या का माहौल उस समय बहुत अलग था. समाज भी हमसे बचता था. क्योंकि समाज को लगता था अगर हम इनके साथ रहेंगे तो हम भी शायद मारे जाएंगे. अब जाकर हमें उन दिनों किए गए संघर्ष का लाभ मिलने जा रहा है.
पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी का धन्यवाद
हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिल से आभार व्यक्त करते हैं. उन्होंने हमारा देखा हुआ सपना अब साकार कर दिखाया है. इस कोरोना काल के कारण हम राम जन्म भूमि पूजन के लिए अयोध्या तो नहीं जा पा रहे हैं लेकिन जैसे ही यह कोरोना का संकट देश से खत्म होगा वैसे ही हम रामलला के दर्शन को एक बार फिर अयोध्या जरूर जाएंगे.