भदोही: जब घड़ियों का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग कैसे समय का पता लगाते थे. उस समय में लोग समय का पता लगाने के लिए सूर्य की परछाई की मदद लेते थे. बाद में खगोल शास्त्रियों ने सूर्य घड़ियों का निर्माण किया, जिससे प्रति आधे घंटे के अंतराल पर आसानी से समय का पता कर पाते थे.
पढ़ें: कर्नाटक संकट पर SC- कल होगा फ्लोर टेस्ट, स्पीकर करें फैसला
जानिए धूप घड़ी का इतिहास-
- देश के कोने कोने में सूर्य घड़ी बनवाई गई, जिसको धूप घड़ी नाम से भी जाना जाता है.
- देश के पांच अलग-अलग कोनों में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया गया.
- इन पांचों कोनों में जंतर-मंतर में सूर्य घड़ी स्थापित की गई.
- इसकी शुरुआत जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय के शासन काल में हुई.
- काशी नरेश ने भी अपने शासनकाल में कई स्थानों पर समय ज्ञात करने के लिए सूर्य घड़ी का निर्माण करवाया था.
जानिए क्या है धूप धड़ी-
- यह ऐसा यंत्र है, जिससे दिन में समय की गणना की जाती है.
- धूप या चांदनी रात हो यह धूप धड़ी समय बताती है.
- समय का मार्जिन आधे घंटे के अंदर का दिखाता है.
- यह धूप घड़ी एक-एक घंटे का पूरा समय बताती है.
- समय की शुद्धता के लिए धूप घड़ी को पृथ्वी की परिक्रमा की धुरी पर सीधा रखना होता है.
सन 1951 के आसपास ज्ञानपुर जिले के के.एम पीजी कॉलेज में सूर्य घड़ी का निर्माण कराया गया था. आज भी इस सूर्य घड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस घड़ी की खास बात यह है कि घड़ी में लगे उपकरण की परछाई से सूर्य के प्रकाश और चांदनी रात के समय का पता लगा सकते हैं.
पीएन डोंगरे, प्रिंसिपल, के.एम पीजी डिग्री कॉलेज