मैसूर : भारतीय संस्कृत में हाथी का सदा ही विशेष महत्व रहा है. यह जीवों में श्रेष्ठ और बुद्धि में अन्य पशुओं में कहीं आगे है. देश के बहुसंख्यक हिंदू हाथी को भगवान गणेश का रूप मान इनकी पूजा करते हैं. यही नहीं हाथी की मानव से दोस्ती भी सदियों पुरानी है.
यही एक पशु है, जिसके नाम पर 'हाथी मेरे साथी' फिल्म बनाई गई. आज हम एक बार फिर इंसान और हाथी की दोस्ती पर आधारित उपरोक्त फिल्म की याद ताजा कराने जा रहे हैं. हम आपको मिलाएंगे 'वेदवती' नाम के हाथी के बच्चे से, जिसकी नटखट शरारतें आपको भी हंसने पर मजबूर कर देंगी.
मैसूर के चिड़ियाघर में अनाथ हाथियों की देखभाल करने वाला युवक सोमू दो महीने पहले 'वेदवती' को कोलीगला के जंगलों से मैसूर के चिड़ियाघर लाया था. दिन-रात की सेवा और देखभाल के साथ सोमू को जब भी मौका मिलता 'वेदवती' के साथ खूब खेलता. धीरे-धीरे सोमू और वेदवती के बीच गहरी दोस्ती हो गई. 'वेदवती' अब हर जरूरत के लिए सोमू को निहारती है.
सोमू के पास हाथियों के साथ बात करने का कौशल है. इस हाथी के बच्चे की चिंघाड़ पर सोमू भी वैसी ही प्रतिक्रिया करता है. 'वेदवती' की दिनचर्या का पूरा जिम्मा सोमू पर ही है. दोनों के बीच लगाव इतना ज्यादा है कि 'वेदवती' सोमू के बिना खाना तक नहीं खाती.