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लॉकडाउन : बेबसी में हैं पाक विस्थापित हिन्दू, फाकाकशी में दिन गुजारने को मजबूर

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Published : Apr 18, 2020, 2:15 PM IST

'कौन सा मजहब कौन सा रब है, भूखा इंसान ये पूछता कब है. है खबर उसको या बेखबर वो है, पेट में जलती आग जाती है. भूख रोती है, तिलमिलाती है.' ये लाइनें इस समय राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे पाकिस्तानी विस्थापितों पर सटीक बैठती हैं. आइए जानते हैं इनके हालात...

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पाक विस्थापित शरणार्थी

जयपुर : ज्यादा समय नहीं बीता है, जब मोदी सरकार ने पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों को तय शर्तों के मुताबिक भारत में नागरिकता की सौगात दी थी. जाहिर है कि भारत में बड़े पैमाने पर पाकिस्तान से विस्थापित होकर सरहदी इलाकों से जुड़े जिलों में ये लोग बस गए थे.

ऐसे में अब, जब भारत में लॉकडाउन चल रहा है, तो इन शरणार्थियों के लिए समस्याएं भी पहाड़ बनकर टूट रही हैं. हालात ऐसे हैं कि सरकार मदद का दावा तो करती है, लेकिन उनकी सुध लेने के लिए एलान के बावजूद अब तक कोई भी सरकारी नुमाइंदा उनके पास तक नहीं पहुंचा है.

रसोई में राशन भी नहीं बचा...
पाकिस्तान के रहेम यार जिले से आए हिन्दू विस्थापित परिवार के घर की रसोई में बस कुछ समय की भूख मिटानेभर का राशन बचा है. परिवार का हर शख्स इस बात को लेकर परेशान है कि दो दिन बाद क्या होने वाला है. पत्नी और दो बच्चों के इस परिवार में मुखिया मजदूरी करके जीवन यापन कर रहे थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद अब उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर हो गई है.

पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की मौजूदा हालत पर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

आखिर क्या होगा, माथे पर चिंता की लकीरें..
थोड़े दिनों बाद क्या होगा, इस बात की चिंता इस परिवार को सताने लगी है. इन लोगों ने बताया कि रोटी बनाने से पहले बच्चों के चेहरे देखकर ये लोग परेशान हो जाते हैं. और मन में सवाल यही गूंजता है कि कहीं कुछ फरमाइश न हो जाए.

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आपको बता दें कि जयपुर शहर के मानसरोवर, गोविंदपुरा और पालड़ी मीणा क्षेत्र के जामडोली में पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थियों के लगभग सवा सौ परिवार निवास करते हैं. इनमें से ज्यादातर रोजाना कमाकर खाने वाले हैं. लॉकडाउन के दौरान का समय सामाजिक संगठन और खुद के पास जमा पैसों से जैसे-तैसे निकाल दिया. लेकिन अब लॉकडाउन के दूसरे हिस्से में ये परिवार परेशान हैं.

इन परिवारों के लिए काम कर रही निमित्तेकम नाम की संस्था ने पहले 15 दिन का राशन उपलब्ध करवाने के बाद जिला प्रशासन से बात की थी, जिसके बाद प्रशासन ने इन लोगों से जयपुर में मौजूद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की सूची मांगी थी. इसके बाद एक दो दफा कुछ अफसरों ने फोन करके हालात के बारे में तो पूछा. लेकिन इमदाद के नाम पर नतीजे अब तक सिफर हैं.

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