हरदोई :पूरा देश स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. केंद्र सरकार ने आज से नेताजी की जंयती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है, लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आज भी देश की आजादी में महती भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को रिहाई का इंतजार है.
शिव सैनिकों को भेजा गया था जेल
वर्ष 2000 में शिवसेना नेता रामवीर द्विवेदी ने शहर के मौनी बाबा मंदिर चौराहे पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित की थी. 23 जनवरी, 2000 को शिव सैनिक नेताजी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी जयंती मना रहे थे, तभी अचानक पहुंची कोतवाली शहर पुलिस ने रामवीर द्विवेदी और उनके साथी को हिरासत में लेकर दोनों का धारा 151 के तहत चालान कर दिया था.
वहीं, नेताजी की प्रतिमा को फाउंडेशन से उखाड़ कर सदर मालखाने में रखवा दिया. तब से आज तक नेताजी की प्रतिमा यहीं पर कैद है.
नगर पालिका ने प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव किया था पास
शिव सैनिकों का दावा है कि 28 दिसंबर, 1998 को हरदोई नगर पालिका परिषद ने बोर्ड की मीटिंग में शिवसैनिकों की मांग पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा मौनी बाबा मंदिर चौराहे पर स्थापित करने का प्रस्ताव पास किया था. इसके बावजूद भी प्रतिमा स्थापित करने के बाद पुलिस को शांति भंग की आशंका महसूस हुई और पुलिस ने प्रतिमा को उखाड़कर सदर माल खाने में रखवा दिया.
नतीजतन आज भी नेताजी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी. दोबारा 2003 में पुराने प्रस्ताव का हवाला देकर नगर पालिका ने प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दी, लेकिन नेताजी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी.