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सीएए लागू करने से इनकार करना असंवैधानिक : कपिल सिब्बल - केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश

पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री कपिल सिब्बल ने केरल साहित्य उत्सव में सीएए को लेकर कहा कि जब सीएए पारित हो चुका है, तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि वह उसे लागू नहीं करेगा. यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है. हालांकि उन्होंने कहा कि आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं.

कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल

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Published : Jan 18, 2020, 9:33 PM IST

Updated : Jan 18, 2020, 11:43 PM IST

त्रिवेंद्रम : कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा कि संसद से पारित हो चुके नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने से कोई राज्य किसी भी तरह से इनकार नहीं कर सकता और ऐसा करना असंवैधानिक होगा.

पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन कहा कि जब सीएए पारित हो चुका है, तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि वह उसे लागू नहीं करेगा. यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है. आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं, लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि कोई इसे लागू नहीं करेगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है.

कपिल सिब्बल का बयान

बता दें कि केरल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था.

केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) का विरोध किया है.

वरिष्ठ वकील और नेता ने समझाया कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह सीएए को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे.

उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वह राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे.

उन्होंने कहा, 'एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे. अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वह राज्य स्तर के अधिकारी होंगे.'

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सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी.

सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को नेता और भारत के लोगों के बीच लड़ाई करार देते हुए 71 वर्षीय नेता ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के छात्र, गरीब और मध्य वर्ग आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक दल.

Last Updated : Jan 18, 2020, 11:43 PM IST

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