दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

एसएसबी गुरिल्लों का धरना, पूरे हुए 3900 दिन, बॉर्डर पर भेजने की मांग

एसएसबी स्वयं सेवक कल्याण समिति (गुरिल्लों) को नौकरी, पेंशन और अन्य सुविधाएं देने की मांग को लेकर उत्तराखंड अल्मोड़ा कलेक्ट्रेट प्रांगण में धरना देते हुए 3,900 दिन पूरे हो गए हैं. इसके बाद भी गुरिल्लों का हौसला भरपूर है. उन्होंने सरकार से चीन को सबक सिखाने के लिए बॉर्डर पर भेजने की मांग की है. पढ़ें विस्तार से....

SSB guerrilla protest form 3,900 days
एसएसबी गुरिल्लों के धरने को 3,900 दिन पूरे

By

Published : Jul 3, 2020, 3:53 PM IST

Updated : Jul 3, 2020, 6:32 PM IST

देहरादून : गुरिल्लों को नौकरी, पेंशन और अन्य सुविधाएं देने की मांग को लेकर उत्तराखंड अल्मोड़ा कलेक्ट्रेट कलेक्ट्रेट प्रांगण में धरना देते हुए 3,900 दिन पूरे हो गए हैं. गुरिल्लों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर उन्हें सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनाती देने की मांग की है.

बता दें कि, उत्तराखंड के अल्मोड़ा क्षेत्र में एक आंदोलन ऐसा चल रहा है जिसे दस साल से भी अधिक का वक्त हो गया है. लेकिन अभी तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है. आज भी आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं. गुरिल्लों के धरने के 3,900 दिन पूरे होने पर उन्होंने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा. उन्होंने ज्ञापन में कहा कि विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए 1962 के भारत-चीन युद्ध में मिले सबक के बाद सीमावर्ती इलाकों की रक्षा के लिए एसएसबी गुरिल्लों को प्रशिक्षण दिया गया था.

10 साल से ज्यादा हो गए धरना देते, लेकिन देश सेवा का जज्बा कायम है

आज के समय में चीन हमारी सीमा में घुसपैठ कर रहा है. पकिस्तान द्वारा सीमा पर लगातार गोलीबारी और आतंकियों की घुसपैठ कराई जा रही है. नेपाल और बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देश भारत के खिलाफ गतिविधियों में संलग्न हैं. इस स्थिति में भारत सरकार द्वारा छापामार युद्ध में प्रशिक्षित एसएसबी गुरिल्लों का उपयोग सीमावर्ती इलाकों में बाहरी और आंतरिक सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि देश के सीमावर्ती राज्यों में इस समय भी एक लाख प्रशिक्षित गुरिल्ले हैं जो स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों में काम कर सकते हैं. इसलिए सरकार को एसएसबी गुरिल्लों का उपयोग करना चाहिए.

एसएसबी गुरिल्ला को जानें
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद 1963 में भारत सरकार ने एसएसबी का गठन किया था. एसएसबी को हिमाचल, अरुणाचल, उत्तराखंड, कश्मीर के साथ ही देश के पूर्वोत्तर राज्यों में तैनात किया गया था.

एसएसबी का काम सीमा क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ तालमेल और उन्हें हथियार चलाने का प्रशिक्षण देना था. एक तरह से गुरिल्ले एसएसबी के हमराही थे. एसएसबी में केवल गुरिल्लों की ही भर्ती होती थी. एसएसबी सीमांत के गांवों में युवाओं को हथियार चलाने की ट्रेनिंग देती थी. गांव से चुने गए युवक, युवतियों को 45 दिन की कठिन गुरिल्ला ट्रेनिंग दी जाती थी. प्रशिक्षण के दौरान निश्चित मानदेय दिया जाता था.

पढ़ें:चीन की साजिश : हिंसा से पहले सीमा पर भेजे थे मार्शल आर्ट के लड़ाके

2001 में केंद्र सरकार ने एसएसबी को सशस्त्र बल में शामिल कर सशस्त्र सीमा बल नाम दे दिया. यहीं से गुरिल्लों की भूमिका समाप्त हो गई. एसएसबी में सामान्य युवा भर्ती होने लगे. युद्धकला और छापामार युद्ध में इन गुरिल्लों की सक्रिय भूमिका अब चीन सीमा पर कारगर हो सकती है.

Last Updated : Jul 3, 2020, 6:32 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details