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श्रीलंका को विदेशी ताकतों की नहीं नए संविधान की जरूरत : राजपक्षे

वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा के साथ बातचीत करते हुए श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा है कि द्वीप राष्ट्र को एक नए संविधान की आवश्यकता है, न कि विदेशी ताकतों की. उन्होंने कहा कि 19वें संशोधन ने सरकार के लिए सुचारु रूप से कार्य करना लगभग असंभव बना दिया था

महिंदा राजपक्षे
महिंदा राजपक्षे

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Published : Aug 10, 2020, 9:08 PM IST

Updated : Aug 10, 2020, 9:19 PM IST

कोलंबो :श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि द्वीप राष्ट्र को एक नए संविधान की आवश्यकता है, न कि विदेशी ताकतों की. अपने शपथ ग्रहण समारोह के एक दिन बाद वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से बात करते हुए प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि देश को एक ऐसे संविधान की जरूरत है, जो अपने देश के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करे न कि 'बाहरी ताकतों' की.

कोविड-19 महामारी के बीच पिछले हफ्ते संसदीय चुनावों में शानदार जीत हासिल करने वाले राजपक्षे को उनके छोटे भाई राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने रविवार को कोलंबो के केलानी बौद्ध मंदिर में आयोजित एक समारोह में शपथ दिलाई.

बता दें कि नवंबर 2019 में लगभग 52 प्रतिशत मतों के साथ गोटाबाया ने राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल की थी, जिसके बाद महिंदा ने उत्तर-पश्चिमी जिले कुरुनागला से सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजना पार्टी (एसएलपीपी) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और एक शानदार जीत दर्ज की.

उल्लेखनीय है कि 225 संसदीय सीट में से महिंदा की एसएलपीपी ने 145 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि यह संख्या संविधान में 19वें संशोधन को निरस्त करने या संशोधित करने के लिए आवश्यक संख्या से पांच सीटें कम है.

संवाददाता द्वारा जब पूछा गया कि 19वें संशोधन को खत्म करना अब सीटों की संख्या के मद्देनजर आसान लग रहा है, तो राजपक्षे ने कहा, 19वें संशोधन ने सरकार के लिए सुचारु रूप से कार्य करना लगभग असंभव बना दिया था और यह एक प्रमुख कारण है कि श्रीलंकाई लोगों ने चुनाव में पिछले प्रशासन को भारी नकार दिया.

19वें संशोधन को 2015 में लागू किया गया था, उस समय महिंदा दस साल के शासन के बाद चुनाव हार गए थे और मैत्रपाली सिरिसेना यूएनपी (यूनाइटेड नेशनल पार्टी) सरकार में पीएम के रूप में रानिल विक्रमसिंघे के साथ राष्ट्रपति बने थे.

संशोधन ने राष्ट्रपति की शक्तियों को सीमित कर दिया था और उन्हें प्रधानमंत्री और संसद के साथ समान रूप से वितरित कर दिया गया. इसका उद्देश्य संसदीय सरकार से सुधारवादी सरकार की ओर बढ़ना था. हालांकि अपनी विशेष टिप्पणी में पीएम राजपक्षे ने संशोधन की आलोचना करते हुए कहा कि यह 'बाहरी ताकतों' की सेवा कर रहा है.

उन्होंने कहा कि श्रीलंका को एक नए संविधान की आवश्यकता है, जो देश और लोगों की सच्ची आकांक्षाओं पर खरा उतरे, न कि बाहरी ताकतों की आकांक्षाओं को पूरा करे. हमें उम्मीद है कि समाज के कई क्षेत्रों के साथ गहन बातचीत के बाद हम ऐसा करेंगे.

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सिरिसेना और विक्रमसिंघे को इन चुनावों में केवल तीन प्रतिशत वोट शेयर मिला, जो कि काफी शर्मनाक है और एसजेबी (सामगी जन बलवागया) के सजीथ प्रेमदासा, जो यूएनपी से अलग हो गए हैं, 54 सीटों के साथ मुख्य विपक्ष के रूप में उभरे हैं.

हालांकि संदेह यह भी है कि क्या महिंदा , गोटाबाया द्वारा नियंत्रित सत्ता का हस्तांतरण सुनिश्चित करना चाहते हैं या इससे दोनों भाइयों के बीच झगड़ा हो सकता है, जिससे शासन को अस्थिर किया जा सकता है.

रणनीतिक कोलंबो पोर्ट में पूर्वी कंटेनर टर्मिनल (ईसीटी) परियोजना और इसे बनाने के लिए भारतीय और जापानी साझेदारी के भाग्य के बारे में पूछे जाने पर पीएम राजपक्षे ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि इसको आकार देने के लिए अभी कैबिनेट से बात होनी है.

Last Updated : Aug 10, 2020, 9:19 PM IST

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