अहमदनगर : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज मिलिए आप बीजमाता से. इनका नाम है राहीबाई पोपरे. राहीबाई के उपलब्धियों के सफर की कहानी 20 साल पहले शुरु हुई थी. इन्होंने न सिर्फ पारंपरिक तरीके से खेती करके पहचान बनाई बल्कि बीजों को खोजने के उनके जतन को देखते हुए नारीशक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है. भारत सरकार ने राहीबाई पोपरे को पद्मश्री के लिए चुना है.
कई फसलों के बीज खोजने के लिए राहीबाई को पद्म पुरस्कार के लिए चुना गया है. राहीबाई कहती हैं कि भूमाता की सेवा के लिए उन्हें ये पुरस्कार मिला है. सिर्फ वे नहीं बल्कि उनका पूरा परिवार बहुत खुश है. राहीबाई बताती हैं कि वे कभी स्कूल नहीं गईं लेकिन कुदरत ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया. वो आगे भी किसानी के क्षेत्र में ही काम करना चाहती हैं.
शुरू किया बीजों का बैंक
राहीबाई कई बार गांव वालों को बीज बांटती हैं. बीजों को खोजने, उनके संकलन करने के साथ-साथ वे उसकी बुआई भी करती हैं. इससे गांव में बीज बैंक का विस्तार हो रहा है. गांव वालों की मदद से उन्होंने करीब 245 बीजों का बैंक शुरू किया है. वे पिछले 20 साल से खेती कर रही हैं.