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बाबरी विध्वंस मामला: विशेष न्यायाधीश एसके यादव का कार्यकाल बढ़ा - न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और सूर्य कांत

1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश एसके यादव का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया. सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और सूर्य कांत की पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे और कार्यालय ज्ञापन का अवलोकन किया. जानें पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट

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Published : Sep 13, 2019, 6:09 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 11:52 AM IST

नई दिल्लीः शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सुचना दी कि सरकार ने न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए 1992 बाबरी मस्जीद विध्वंस मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश एस.के. यादव के कार्यकाल को बढ़ा दिया है. आपको बता दें इस मामले में कई बड़े नाम जैसे भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल क्रिष्ण अडवानी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती शामिल हैं.

न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और सूर्य कांत की पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव द्वारा दिए गए हलफनामे और कार्यालय ज्ञापन का अवलोकन किया.

वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को बताया, शीर्ष अदालत के निर्देश का अनुपालन करते हुए अयोध्या विध्वंस मामले में फैसला आने तक विशेष न्यायाधीश के कार्यकाल को बढ़ाया गया है. बता दें, वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से मामले में पैरवी कर रही हैं.

पढ़ें- बाबरी विध्वंस मामला: न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत से मांगी पुलिस सुरक्षा

आपको बता दें, ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश एस. के. यादव को 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई को इस मामले में फैसला नौ महीने के अंदर सुनाने का आदेश दिया था. इसलिए न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ा दिया गया.

पीठ ने मुकदमे की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश यादव के कार्यकाल का विस्तार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की अधिसूचना पर संतोष व्यक्त किया.

अयोध्या में 16वीं शताब्दी में बनी बाबरी मस्जिद को उन्मादियों की भीड़ ने 6 दिसंबर, 1992 को ध्वस्त कर दिया था। कहा जाता है कि मस्जिद को तोड़े जाने के समय आडवाणी, जोशी और अन्य भाजपा नेता घटनास्थल पर मौजूद थे.

Last Updated : Sep 30, 2019, 11:52 AM IST

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