नई दिल्ली : वॉशिंगटन डीसी में भारत और अमेरीका के बीच 2+2 बातचीत के दूसरे दौर से पहले, अमेरीका के अखबारों की सुर्खियां केंद्र सरकार के लिए पेरशानी का सबब बनी हुई हैं.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने अमेरिकी समकक्ष माइकल पॉम्पियो और मार्क एस्पर से मंगलवार को होने वाली वार्ता के लिए वॉशिंगटन में हैं. लेकिन इन सबके बीच अमेरीकी मीडिया का ध्यान कश्मीर में हालात, जामिया युनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस के बल प्रयोग और देशभर में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हो रहे विरोध पर है.
जैसे-जैसे विरोध बढ़ रहा, सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत एक हिन्दू राष्ट्र बनने जा रहा है?
न्यूयॉर्क टाइम्स के आर्टिकल में कहा गया है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कश्मीर में हजारों मुसलमानों को नजरबंद किया, क्षेत्र की स्वायत्तता खत्म की और देश के पूर्वोत्तर इलाके में नागरिकता साबित करने के लिए ऐसा कदम उठाया, जिसने करीब दो लाख लोगों को बिना किसी देश के रख छोड़ा है, और इनमें अधिक्तर मुसलमान हैं. मोदी ने इसके जरिये इस्लाम को छोड़ बाकी सभी दक्षिण एशियाई धार्मिकताओं को फायदा पहुंचाने वाला बिल बनाया, जिसके चलते इन दिनों देशभर में विरोध जारी है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल के आर्टिकल की हेडलाइन कहती है कि भारत के नए नागरिकता कानून का विराध फैल रहा है. लेख में लिखा गया है कि इस बिल के आलोचकों का मानना है कि मुस्लिम प्रवासियों को नुकसान पहुंचाने वाले इस बिल से प्रधानमंत्री मोदी देश के संविधान के धर्मनिरपेक्षे पहलू को कमजोर कर रहे हैं.
वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि विश्वविद्यालय परिसर में पुलिस के घुसने के बाद, देशभर में नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ विरोध भड़कने लगा है.
इस साल अगस्त में कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद से इंटरनेट सेवाओं पर रोक और कश्मीर के नेताओं की नजरबंदी के मुद्दे पर अब तक अमेरिका में दो कांग्रेशनल सुनवाई हो चुकी हैं. वहीं, नागरिक संशोधन बिल ने अमेरीका में आलोचना और चिंताओं को जन्म दिया है.
अमेरिका में दो पैनल, कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम और द हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने, मूल नागरिक सिद्धांतो की अनदेखी के लिए नागरिकता संशोधन कानून की आलोचना की है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र के मनावधिकार आयोग ने इस बिल को मूल रूप से भेदभाव करने वाला और भारत के मानवधिकार की तरफ वादे के खिलाफ करार दिया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि 2018 में पहली बार हुई 2+2 मीटिंग के इस दौर में, क्रॉस कटिंग विदेश नीति, रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से बात होगी. भारत को उम्मीद है कि कश्मीर और नागरिकता संशोधन कानून मुद्दे इस बातचीत का हिस्सा नहीं होंगे, हालांकि क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर विचारों का आदान प्रदान हो सकता है.
अमेरिका के कार्यवाहक विदेश सचिव (दक्षिण और मध्य एशिया) एलिस जी वेल्स ने कुछ दिन पहले कहा था, 'अगले हफ्ते होने वाली 2+2 मीटिंग का मानवाधिकार हिस्सा नहीं है. हालांकि मुझे यकीन है कि कश्मीर से जुड़े मुद्दे भारत के लिए एजेंडे का हिस्सा होंगे.'
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