हैदराबाद : पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी फैली है. संक्रमण का प्रसार रोकने लॉकडाउन लगाया गया था. इस दौरान लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. तेलंगाना के लोगों ने यह भी शिकायत की है कि लॉकडाउन के परिणामस्वरूप तीन माह के औसत को जोड़कर जो बिजली का बिल आया है, वह ज्यादा है. इसी बीच ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि विद्युत वितरण कंपनियां बिजली की दर बढ़ाने पर विचार कर रही हैं.
बिजली के बिल से जुड़ी समस्याओं को लेकर तेलंगाना विद्युत नियामक बोर्ड के अध्यक्ष श्री रंगा राव ने आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के सर्वाधिक प्रसारित तेलुगू समाचारपत्र ईनाडु से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि तेलंगाना के अस्तित्व में आने के बाद से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं. यदि विद्युत वितरण कंपनियां लॉकडाउन से हुए नुक्सान से निबटने के लिए बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव देती हैं तो राज्य विद्युत नियामक बोर्ड सभी पक्षों के साथ चर्चा के बाद ही निर्णय लेगा. 30 जून को विद्युत वितरण कंपनियां ने जरूरी वार्षिक आय की एक रिपोर्ट (एआरआर) विद्युत नियामक बोर्ड को सौंपी थी. श्री रंगा राव से बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं :-
सवाल : विद्युत वितरण कंपनियां हर वर्ष नवंबर में जरूरी वार्षिक आय की एक रिपोर्ट (एआरआर) विद्युत नियामक बोर्ड को देती हैं. वे उसका अनुपालन नहीं कर रही हैं. इसको लेकर क्या किया जा सकता है?
यह सच है कि विद्युत वितरण कंपनियां एआरआर का अनुपालन नहीं कर रही हैं. यदि वे नियमों का उल्लंघन करती हैं तो यह उनको ही प्रभावित करेगा. सिंचाई विभाग अपनी बिजली की खपत की रिपोर्ट जारी करने में असमर्थ रहा है. इसकी वजह से विद्युत वितरण कंपनियां अपनी एआरआर रिपोर्ट देने में असमर्थ थी.
सवाल : विद्युत वितरण कंपनियों को हो रहे घाटे के लिए क्या किया जा सकता है?
केंद्र सरकार आदित्य योजना पर कार्य कर रही है. इसके तहत सरकार सभी राज्यों में एक लाख करोड़ का अनुदान वितरित करेगी. इसके तहत हर घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे. ये मीटर बूट (बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर) से लैस होंगे. कंपनी को ये मीटर खुद के खर्च पर घरों में लागवाने होंगे. इन मीटरों के लग जाने के बाद कंपनी को हो रहा नुक्सान कम हो जाएगा और धीरे-धीरे उनको मुनाफा होने लगेगा. उस मुनाफे से किश्तों में वह मीटर कंपनी को भुगतान कर सकेंगी. केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र की विकासात्मक लागत का लगभग 60% खर्च उठाती है. शेष 40% खर्च विद्युत वितरण कंपनियों को उठाना पड़ता है.
सवाल : लोगों ने शिकायत की है कि बिजली शुल्क बढ़ा दिया गया है. इसके परिणामस्वरूप लॉकडाउन में उनपर बोझ बढ़ गया है. क्या इस मुद्दे को ईआरसी के संज्ञान में लाया गया है?