हैदराबाद : राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वर्ष 2018-19 के लिए अपने आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के परिणाम जारी किए. इसके अलावा अप्रैल-जून 2019 तिमाही के शहरी अनुमान का परिणाम भी जारी किया गया. रिपोर्ट जून 2020 के पहले सप्ताह में जारी की गई. वार्षिक रिपोर्ट वर्ष जुलाई 2018 और जून 2019 के आधार पर ली गई. वहीं वार्षिक सर्वेक्षण के लिए 101,579 परिवारों के नमूने लिए गए.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2017-18 की तुलना में 2018-19 में श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में वृद्धि हुई है. रोजगार दर (रिपोर्ट में कार्यशील जनसंख्या अनुपात) में सुधार हुआ है और बेरोजगारी दर में गिरावट आई है.
वर्तमान साप्ताहिक स्थिति के आधार पर श्रम भागीदारी दर 2017-18 में 48.4 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 48.5 प्रतिशत हो गई. यह आंकड़ा ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी में भी केंद्रित है.
ग्रामीण महिलाओं की श्रम भागीदारी 2017-18 में 21.7 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 22.5 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में 19.6 प्रतिशत से 19.7 प्रतिशत हो गई है, लेकिन पुरुषों की श्रम भागीदारी दर में गिरावट आई. इसमें शहरी भारत पुरुषों की श्रम भागीदारी दर 74.7 प्रतिशत से घटकर 73.1 प्रतिशत और ग्रामीण भारत में 75.6 प्रतिशत से 75.5 प्रतिशत हो गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण भारत में महिलाओं की श्रम भागीदारी दर में चालू सप्ताह के आधार पर 0.8 प्रतिशत अंक और सामान्य स्थिति से तेज 1.8 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई. गौर करने वाली बात यह है कि ग्रामीण और शहर दोनों ही जगह महिलाओं की श्रम दर में वृद्धि हुई है.
हालांकि, यह 2018-19 के दौरान कृषि उद्योग में आई मंदी के दौरान आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से ठीक नहीं बैठता, जब 2017-18 में ग्रोथ 5.9 फीसदी से गिरकर 2018-19 में 2.4 फीसदी हो गई थी.