नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा है कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये केंद्र सरकार बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती. सरकार का कहना है कि बाजार से कर्ज लेने पर बाजार में कर्ज की लागत बढ़ सकती है.
सोमवार को जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है.
दरअसल, राज्यों के माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने के प्रयास लगातार जारी हैं. इसी कड़ी में सोमवार को जीएसटी परिषद की बैठक हुई. एक सप्ताह के भीतर परिषद की यह दूसरी बैठक थी. हालांकि, बैठक में कोई सर्वसम्मति नहीं बन पाई. बता दें कि जीएसटी परिषद, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पर निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय है.
वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी राजस्व की भरपाई को लेकर राज्यों के समक्ष प्रस्ताव रखे गए हैं, लेकिन सभी राज्य एकमत नहीं हो पाए हैं. बता दें कि राजस्व भरपाई के मुद्दे पर यह लगातार तीसरी बैठक हैं जिसमें कोई निर्णय नहीं हो पाया.
राजस्व की भरपाई के लिये केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों के समक्ष दो विकल्प रखे हैं.
- राज्य रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाले विशेष खिड़की से 97,000 करोड़ रुपये कर्ज लेकर भरपाई करें.
- पूरी 2.35 लाख करोड़ रुपये की राशि को बाजार से उठाएं.
दिलचस्प है कि केंद्र ने राज्यों के कर्ज का भुगतान विलासिता और गैर- प्राथमिकता वाली अहितकर वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी उपकर को 2022 के बाद भी जारी रखने का प्रस्ताव किया है, ताकि राज्य इससे प्राप्त राजस्व से अपने कर्ज का भुगतान कर सकें.
कुछ राज्यों की मांग पर 97,000 करोड़ रुपये की राशि को बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के शासन वाले 21 राज्यों ने इस विकल्प पर सहमति जताई है और जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये 1.10 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने को तैयार हैं.
केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में अब तक राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के लिये 20,000 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. जीएसटी के तहत विभिन्न वस्तुओं पर 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूला जाता है.
परिषद की सोमवार को हुई बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि केंद्र सरकार बाजार से कर्ज जुटाकर राज्यों के राजस्व की भरपाई नहीं कर सकती है. इससे बॉंड प्रतिफल में तेजी आ जायेगी और परिणामस्वरूप बाजार में कर्ज महंगा हो जाएगा. उन्होंने कहा कि बाजार से कर्ज जुटाने पर सरकार और निजी क्षेत्र सभी के लिये कर्ज की लागत बढ़ जाएगी.
सीतारमण ने कहा, 'यदि राज्य खुद भविष्य में होने वाली जीएसटी प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज उठाते हैं तो उस स्थिति में ऐसा नहीं होगा. 21 राज्य पहले ही केंद्र के इस संबंध में रखे गये विकल्प पर अपनी सहमति जता चुके हैं.'
उन्होंने कहा कि कुछ राज्य इस मुद्दे पर आम सहमति से निर्णय लेने को लेकर जोर दे रहे हैं. सीतारमण ने कहा, 'हम आम सहमति नहीं बना पाये हैं.'
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह पांच अक्टूबर को हुई बैठक में जीएसटी परिषद ने कार, तंबाकू और ऐसे ही कुछ अन्य विलासिता, अहितकर उत्पादों पर लगाये जाने वाले उपकर की अवधि जून 2022 के बाद भी जारी रखने पर सहमति जताई है. हालांकि, राज्यों की क्षतिपूर्ति कैसे हो इसको लेकर आम सहमति नहीं बन पाई है.
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कोविड- 19 महामारी के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था में मंदी के चलते माल एवं सेवाकर (जीएसटी) राजस्व में बड़ी कमी आने का अनुमान है. चालू वित्त वर्ष के दौरान यह कमी 2.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है.