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एसआईटी ने उप्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट, पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

हाथरस कांड की जांच कर रही स्पेशल टास्ट फोर्स (एसआईटी) ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. सूत्रों के अनुसार एसआईटी की रिपोर्ट में वरिष्ठ पुलिस कर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं.

एसआईटी ने उप्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट
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Published : Nov 3, 2020, 7:13 AM IST

लखनऊ : हाथरस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. सूत्रों के अनुसार एसआईटी की रिपोर्ट में वरिष्ठ पुलिस कर्मियों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं. हाथरस केस में गठित एसआईटी गृह सचिव भगवान स्वरूप, डीआईजी चंद्रप्रकाश और एसपी पूनम ने पूरे प्रकरण की अलग-अलग बिंदुओं से जांच की है. एसआईटी के गठन के समय उसे एक हफ्ते में जांच रिपोर्ट सौंपने का समय दिया गया था. शुरुआती जांच के आधार पर एसपी विक्रांत वीर समेत चार पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया था. अब एसआईटी की पूरी रिपोर्ट आने के बाद कई और पुलिस कर्मियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं. एसआईटी ने पूरे मामले में करीब 200 लोगों के बयान दर्ज किए हैं.

एसआईटी ने पुलिस कर्मियों की भूमिका पर खड़े किए सवाल
हाथरस में कथित गैंगरेप मामले में गठित हुई एसआईटी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. वहीं इस रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया की कि इस पूरे मामले में कई पुलिस कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है, जिनके कारण यह मामला पूरा बिगड़ता चला गया. एसआईटी की शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर ही एसपी समेत चार पुलिसकर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई थी. वहीं अब कई और पुलिस कर्मियों के नाम भी इसमें शामिल हैं. अब सरकार को इस पर फैसला लेना है कि वह एसआईटी की इस रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्रवाई करती है.

यह था मामला
हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के बुलगढ़ी गांव में बीते 14 सितंबर को एक युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. इस मामले में चार लोगों को आरोप के आधार पर गिरफ्तार किया गया है. चारों आरोपी फिलहाल अलीगढ़ जिला कारागार में हैं.

पढ़ें : हाथरस कांंड: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई दूसरी सुनवाई, 25 नवंबर को अगली तारीख

पहले अलीगढ़ जिला अस्पताल में भर्ती होने के बाद युवती को जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. हालत बिगड़ने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेजा गया, जहां 29 सितंबर को युवती ने दम तोड़ दिया. इसके बाद प्रशासन ने जल्दबाजी में आधी रात को ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया, जिसके बाद इस पूरे मामले में पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हुए. इसी को लेकर एसआईटी जांच कर रही थी, जिसने सोमवार को पूरी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को सौंपी है.

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