नई दिल्ली: आज देश संविधान दिवस मना रहा है. आजाद भारत के इतिहास में 26 नवंबर की खास अहमियत है. दरअसल यही वह दिन है, जब गुलामी की जंजीरों से आजाद होकर अपने स्वतंत्र अस्तित्व को आकार देने का प्रयास कर रहे राष्ट्र ने संविधान को अंगीकार किया था. इसी दिन संविधान सभा ने इसे अपनी स्वीकृति दी थी. इस वजह से इस दिन को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाता है.
इस मौके पर राष्ट्र्रपति रामनाथ कोविंद ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा.
संविधान सभा की अंतिम बैठक में बाबा साहब का समापन भाषण
इतिहास में 25 नवंबर की तारीख भी स्वतंत्र भारत की एक बड़ी महत्वपूर्ण घटना के साथ दर्ज है. यहां आपको बता दें कि 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा की आखिरी बैठक में बाबा साहब भीम राव आंबेडकर ने समापन भाषण दिया था.
भारत में 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. आज के दिन 1949 में भारत की संविधान सभा ने औपचारिक रूप से भारत के संविधान को अपनाया था, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था.
इस दिन का उद्देश्य भारतीय संविधान के महत्व को उजागर करना और अंबेडकर के विचारों को फैलाना है. भारतीय संविधान का निर्माण 165 दिन की अवधि में संविधान सभा द्वारा किया गया था. हमारा संविधान मौलिक अधिकारों, निर्देश सिद्धांतों और नागरिकों के कर्तव्यों को निर्धारित करता है. यह भारत को एक संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है.
बता दें, बाबा साहब ने उस समय जिन चुनौतियों को राष्ट्र निर्माण में बाधक करार दिया था, वह आज भी उतनी ही विकरालता के साथ देश के सामने मौजूद हैं. यह उनकी दूरदर्शिता ही थी कि वह संविधान सभा के आख़िरी भाषण में आर्थिक और सामाजिक गैरबराबरी के ख़ात्मे को राष्ट्रीय एजेंडे के रूप में सामने लाए.
भारत के संविधान की ऐसी बातें जो, हर भारतीय को जरूर जाननी चाहिए
1. भारत का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बनाई गई थी.
2. डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष थे.