नई दिल्ली : भारतीय रेलवे ने अपने विभिन्न जोन के लिए दिशा-निर्देश जारी कर कहा है कि फंसे हुए लोगों को ले जाने के लिए क्षमता की 90 प्रतिशत मांग होने पर ही विशेष श्रमिक ट्रेन चलाई जानी चाहिए.
रेलवे ने कहा कि स्थानीय राज्य सरकार प्राधिकार टिकट का किराया एकत्र कर और पूरी राशि रेलवे को देकर यात्रा टिकट यात्रियों को सौंपेंगे.
इसने यह भी कहा कि संबंधित राज्य संबंधित स्टेशन पर पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराएंगे, जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल वही यात्री स्टेशन परिसर में प्रवेश कर पाएं जिन्हें यात्रा की मंजूरी दी गई है और जिनके पास यात्रा का वैध टिकट हो.
रेलवे ने कहा, 'प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन का केवल एक गंतव्य होगा और यह बीच में नहीं रुकेगी. सामान्य तौर पर, श्रमिक स्पेशल ट्रेन 500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेंगी. ये ट्रेन गंतव्य से पहले बीच में किसी स्टेशन पर नहीं रुकेंगी. पूरी लंबाई वाली ट्रेन में यात्री भौतिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बैठेंगे और बीच वाली सीट पर कोई नहीं बैठेगा. इस तरह की प्रत्येक ट्रेन लगभग 1,200 यात्रियों को ले जा सकती है.'
दिशा-निर्देशों में कहा गया कि संबंधित राज्य यात्रियों के समूह को लेकर तदनुसार योजना तैयार करेगा. ट्रेन के लिए क्षमता के 90 प्रतिशत से कम मांग नहीं होनी चाहिए.
रेलवे निर्दिष्ट गंतव्यों के लिए संबंधित राज्य द्वारा बताई गई यात्रियों की संख्या के हिसाब से टिकट प्रकाशित करेगा और इन्हें स्थानीय राज्य प्राधिकार को सौंप देगा.