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अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत, लेकिन संतुष्ट नहीं - जिलानी

बहुप्रतिक्षित और ऐतिहासिक राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुना दिया गया है. जिसका सभी ने स्वागत किया है. हालांकि मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं.

अयोध्या

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Published : Nov 9, 2019, 12:51 PM IST

Updated : Nov 9, 2019, 9:39 PM IST

नई दिल्ली : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा शनिवार को सुनाये गये फैसले के बाद मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और आगे की कार्रवाई पर बाद में फैसला करेंगे.

जफरयाब जिलानी ने कहा, 'अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एग्जीक्यूटिव कमिटी मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन के साथ बैठकर इस फैसले पर विचार करेगी और फिर निर्णय होगा कि हम इस मामले में पुनर्विचार याचिका दाखिल करें या नहीं.'

ईटीवी भारत से बात करते जफरयाब जिलानी.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह 5 एकड़ भूमि पर मस्जिद बनाने के लिए सहमत हैं, जिलानी ने कहा कि इस पर AIMPLB की एग्जीक्यूटिव कमिटी ही फैसला करेगी.

शिया वक्फ बोर्ड के वकील अश्विनी उपाध्याय से ईटीवी भारत ने बातचीत की.

वहीं, इस फैसले के बाद शिया वक्फ बोर्ड के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा है कि शिया वक्फ की याचिका भले ही रद्द हो गई हो, लेकिन अयोध्या पर कोर्ट का फैसला ऐसा ही आया है जैसा कि शिया वक्फ बोर्ड चाहता था. शिया वक्फ बोर्ड चाहता था कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो.

उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है, सुप्रीम कोर्ट ने 500 साल पुराने विवाद पर एक मत से फैसला दिया है. वहीं, मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए मिल गयी है, जिससे सभी खुश हैं.

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को राजनीतिक रूप से अतिसंवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा की अपीलें खारिज कर दीं.

पांच जजों की विशेष पीठ ने कहा कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार यह सरकारी जमीन है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने विवादित ढांचे पर अपना दावा करने की शिया वक्फ बोर्ड की अपील सर्वसम्मति से खारिज कर दी.

आदेश की प्रति

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय विशेष पीठ ने अपने फैसले में कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा कानूनी समय सीमा के तहत प्रतिबंधित है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा राम लला की मूर्ति का उपासक या अनुयायी नहीं है.

इसे भी पढ़ें - अयोध्या भूमि विवाद : संक्षेप में समझें फैसले के अहम बिंदु

न्यायालय ने कहा कि राजस्व रिकार्ड के अनुसार यह सरकारी जमीन है. विशेष पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

जस्टिस एसए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की पीठ ने भी कहा कि राम जन्मभूमि कोई व्यक्तिवादी नहीं है.

संविधान पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के खिलाफ दायर अपीलों पर 40 दिन तक सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित किया था.

Last Updated : Nov 9, 2019, 9:39 PM IST

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