देहरादून :पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीन की कायराना हरकत के बाद दोनों देशों के बीच सीमा विवाद तल्ख हो चुका है. भारत और चीन के बीच सीमा को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल कहते हैं. पूरा LAC करीब 3,488 किलोमीटर की है, उत्तराखंड 345 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा साझा करता है. LAC का मिडिल सेक्टर हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड है.
चीन कई बार चमोली के बाड़ाहोती और माणापास में घुसपैठ की हिमाकत कर चुका है. भारत-चीन बॉर्डर पर तल्खी के बाद उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं सेक्टर में सैन्य बल बढ़ा दिया गया है.
उत्तराखंड में केंद्रीय आर्मी कमांड के बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं. वहीं, उत्तरकाशी के चिन्यालिसौर में एयरफोर्स ने हवाई पट्टी को एक्टिव कर दिया है. चीन की नजर यहां भी हमेशा रही है तो इस मोर्चे पर भारत पूरी तरह तैयार हो चुका है. उत्तराखंड के बाड़ाहोती के मैदानी भू-भाग को लेकर भी चीन अक्सर घुसपैठ करता रहता है. सीमावर्ती इलाकों में चरवाहे सेना के लिए आंख, नाक और कान का भी काम करते हैं.
चमोली में स्थित भारत-चीन बॉर्डर रोड पर भेड़ और बकरी चरवाहों की आवाजाही लगातार बनी हुई है. सरकार से अनुमति मिलने के बाद भेड़पालक मलारी से होते हुए बाड़ाहोती, नीति घाटी से गयालडूंग तक भी बकरियों को चुगाते पहुंच जाते हैं. कभी-कभी गलती से सीमा पार कर जाने पर चरवाहों का सामना चीनी सैनिकों से भी हो जाता है. ऐसे में चरवाहे वापस लौटने पर भारतीय सेना को जरूरी सूचनाएं मुहैया कराते हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत में चरवाहे रूप सिंह बताते हैं कि उनका कई बार चीनी सैनिकों से सामना हो चुका है. LAC के करीब बकरियां घास चुगते-चुगते कई बार चीन की सीमा में भी प्रवेश कर जाती है. ऐसे में नाराज चीनी सैनिक चरवाहों के सामानों को नष्ट कर देते हैं. इसके साथ ही परेशान करने के लिए चीनी सैनिक आटे में नमक और मसाला मिला देते है और वापस लौट जाने की चेतावनी देते हैं. रूप सिंह बताते हैं कि चीनी सैनिकों का उन्हें खौफ नहीं सताता है. आज भी वे बेखौफ होकर बाड़ाहोती बॉर्डर जाते हैं और जरूरत पड़ने पर सेना की हरसंभव मदद करने की बात कहते हैं.
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