जयपुर : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को मोदी सरकार पर फिर से निशाना साधा. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में भाग लेते हुए थरूर ने कहा कि मोदी सरकार हिंदुत्व को ठीक से समझती नहीं है. वह अपने आप को हिंदुत्व का समूह मानती है. और उन्हें लगता है कि जो वो कर रहे हैं, सिर्फ वही सही है. बाकी सारे लोग गलत हैं. थरूर ने कहा कि इस सरकार की यही सोच सच से कोसों दूर है.
थरूर ने कहा कि इनकी सोच कैसी है, आप लोग भी वाकिब हो गए हैं. उन्होंने कहा किगांधी को जिसने मारा वो आरएसएस था. शशि थरूर जेएलएफ के दूसरे सेशन 'शशि ऑन शशि' को संबोधित कर रहे थे.
थरूर ने कई किताबों, जिंदगी के कई पहलुओं के साथ ही राजनीति पर भी चर्चा की. धर्म की बात करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, नेहरू और सभी नेताओं के अनुसार कोई भी एक धर्म भारत की पहचान नहीं है. सभी धर्मों के लिए ही आजादी की लड़ाई लड़ी गई है.
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थरूर ने कहा कि आज देश में अलग तरह का माहौल चल रहा है, गांधी जी को जिसने मारा वह आरएसएस के ही लोग थे, लेकिन इतने वक्त गुजरने के बाद भी इनकी सोच आज भी बदली नहीं है. थरूर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पहली बार सरकार ऐसी आई है, जो लोगों को सोशली डिवाइड कर रही है, जो उचित नहीं है.
संवाद के दौरान में भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए शशि थरूर ने कहा कि हिंदुत्व का मतलब है कि हम कोई जस्टिस करें, तुम मेरे सच को समझो और मैं तुम्हारे सच के साथ रहूं, पर यह सरकार अपने आप को हिंदुत्व का एक समूह मानती है. जो वह करें, वही सही हिंदुत्व है, बाकी सही नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि विभाजन के समय सबसे बड़ा सवाल था कि क्या धर्म राष्ट्र की पहचान होना चाहिए?
थरूर ने जयपुर साहित्य उत्सव में भाग लेने के दौरान आज के संप्रदायिक कट्टरता के माहौल पर बेबाकी से अपनी राय रखी, बात रखते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग द्वारा 1940 में अपने लाहौर अधिवेश में इसे सामने रखने से पहले ही सावरकर इस सिद्धांत की पैरोकारी पहले ही कर चुके थे.
थरूर ने कहा, 'सावरकर ने कहा था कि हिंदू ऐसा व्यक्ति है जिसके लिए भारत पितृभूमि (पूर्वजों की जमीन), पुण्यभूमि है. इसलिए, उस परिभाषा से हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन दोनों श्रेणियों में समाते थे, मुसलमान और ईसाई नहीं'.
हिंदूत्व का झंडा बुलंद करने वालों पर करारा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिंदुत्व के पैरोकारी के पक्ष में आंदोलन करने वालों ने 'संविधान' को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था. थरूर ने बताया कि मैंने अपनी पुस्तक 'व्हाई एम आई ए हिंदू' में सावरकर, एम एस गोलवलकर और दीन दयाल उपाध्याय का हवाला दिया है. ये वही लोग थे जो मानते थे कि धर्म से ही राष्ट्रीयता तय होनी चाहिए.
अपने विचार रखने के दौरान थरूर ने जोर देकर कहा कि अपनी ऐतिहासिक कसौटी में द्विराष्ट्र सिद्धांत के पहले पैरोकार वाकई वी डी सावरकर ही थे, जिन्होंने हिंदू महासभा के प्रमुख के तौर पर भारत से हिंदुओं और मुसलमानों को दो अलग अलग राष्ट्र के रूप मे मान्यता देने का आह्वान किया था. बाद के दिनों में मुस्लिम लीग ने 1940 में पाकिस्तान प्रस्ताव पारित किया था.'
(एक्सट्रा इनपुट- भाषा)