नई दिल्ली :रहस्यमय स्पेशल फ्रंटियर फोर्सेज (एसएफएफ) या 'एस्टेब्लिशमेंट-22' भारत के एक सबसे अच्छे खुफिया तंत्र में शामिल है, लेकिन इस फोर्स की गोपनीयता का पर्दा धीरे-धीरे हटना शुरू हो गया है, क्योंकि हाल में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ झड़प में एसएफएफ के एक अधिकारी की शहादत हो गई थी.
1962 में चीन की तर्ज पर विशेष कमांडो ऑपरेशन करने के हुक्म के साथ इसकी स्थापना की गई. चकराता-मुख्यालय वाले एसएफएफ को बहुत अधिक ऊंचाई वाली जंग में विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है. यह भारत के कई सैन्य और आंतरिक सुरक्षा संघर्षों का हिस्सा रहा है. इसके साथ-साथ कई शीर्ष-गुप्त अभियानों का एक सक्रिय भागीदार भी रहा है, लेकिन इसका काम जनता की नजरों से बचा रहा.
इस तरह के अभियानों में इसका एक अभियान अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की महत्वाकांक्षी योजना के अनुसार 7816 मीटर की ऊंचाई स्थित नंदा देवी की चोटी पर एक निगरानी यंत्र को स्थापित करना था. कंचनजंघा के बाद नंदादेवी भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है.
पश्चिमी दुनिया को आश्चर्यचकित करते हुए चीन ने 1964 में अपने पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में एक परमाणु बम का परीक्षण किया था. उस समय तक पश्चिमी देशों का मानना था कि चीन परमाणु तकनीक प्राप्त करने से अभी बहुत दूर है.
सीआईए की सोच पर आधारित इस अभियान के तरह नंदा देवी शिखर के पास एक उपकरण स्थापित करना था ताकि चीन यदि और कोई परमाणु परीक्षण करे तो उसका पता लगाया जा सके. उन दिनों एसएफएफ का संचालन इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के जिम्मे था. तब महान पर्वतारोही कैप्टन एमएस कोहली के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई.
अब 89 वर्ष के हो चुके कैप्टन कोहली ने ईटीवी भारत ने कहा, ‘मैं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में था, लेकिन मेरी सेवाओं का इस्तेमाल आईबी समेत सिस्टर संगठनों ने भी किया.
अमेरिकियों को मिलाकर हमारी एक बड़ी टीम थी लेकिन टीम का मुख्य नेता मैं, सोनम ग्यात्सो, हरीश रावत, जीएस पंगु, सोनम वांग्याल थे. कई लोग नव गठित एसएफएफ या स्टेब्लिशमेंट 22 से थे. टीम के कई सदस्य अलास्का के माउंट मैकिनले स्थित सीआईए के एक सुविधा केंद्र में प्रशिक्षण ले चुके थे.