हैदराबाद : तेलंगाना सरकार ने एक दैनिक बुलेटिन जारी किया है, जिसमें कोरोना के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में खाली बेडों की जानकारी दी गई है. इस बुलेटिन से जानकारी मिलने के बाद जब कोरोना मरीज संबंधित अस्पतालों में पहुंचते हैं, तो इन रोगियों में गंभीर लक्षण होने की बात कही जाती है और उन्हें गांधी अस्पताल रेफर कर दिया जाता है.
जब कोरोना संदिग्ध गांधी अस्पताल जाते हैं, तो उन्हें यह कहकर वापस भेजा जा रहा है कि उनके लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं हैं और इसलिए उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. उन्हें उपचार किट के साथ घर वापस भेज दिया जाता है.
ऐसे समय में जब मरीज निजी अस्पताल जाते हैं, तो निजी अस्पताल उन्हें अपने यहां एडमिट करने से मना कर देते हैं और किसी प्रकार की सहायता प्रदान नहीं करते. इस अव्यवस्था के चलते कोरोना मरीज अपनी बात नहीं उठा पाते और अपना सही इलाज नहीं करा पाते. यह जानने योग्य बात है कि पिछले शनिवार को ही सरकार ने अपने बुलेटिन में सरकारी और निजी अस्पतालों में हजारों बेड खाली होने की बात कही है.
अब तक तेलंगाना में लगभग 60,000 कोरोना पॉजिटिव केस आए हैं, जिनमें से लगभग 85% मामले हैदराबाद, रंगारेड्डी और मेडचल जिलों के हैं. कोरोना वायरल संक्रमण के कारण मरने वाले 530 लोगों में से लगभग 480 इन्हीं जिलों के थे. पिछले शनिवार सरकार ने घोषणा की कि एक दिन में लगभग 1003 लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.
इन आंकड़ों के साथ यह समझा जा सकता है कि हालत कितनी खराब है. खासकर इन तीन जिलों में. लगभग 18,000 रोगी कोरोना संक्रमण का इलाज करा रहे हैं. लगभग 85 प्रतिशत लोग घर पर ही अपनी देखभाल कर रहे हैं. इनमें से कुछ का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, इसके बावजूद वह घरेलू उपचार ही कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें बताया गया था कि सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड नहीं हैं.