हैदराबाद :मोदी मंत्रिमंडल ने फसल उत्पादों की बिक्री से संबंधित दो अध्यादेश जारी करने और उन पर अग्रिम समझौतों को लागू करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम के संशोधन को मंजूरी दे दी है. सरकार आश्वस्त कर रही है कि किसान अपने फसल उत्पादों को देश में कहीं भी, किसी को भी बेच सकेगी. अनुबंधित समझौतों के भुगतान में देरी को लेकर अदालत में सुनवाई की जाएगी.
हालांकि, सवाल ये है कि एक गरीब किसान बड़े व्यापारियों से कैसे निपट सकता है ? देश में उसकी उपज की मांग का स्थान जानने और उसे उस स्थान पर बेचने के लिए दो-तीन एकड़ के एक छोटे किसान की क्षमता क्या है ? जब ई-एनएएम प्रणाली पहले से ही पूरी तरीके से शुरू नहीं हुई है, तो यह मानना एक सपने जैसा होगा कि देश भर में फैले 82 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान अपनी पसंद के स्थान पर अपने उत्पाद बेच पाएंगे और साथ ही उन्हें लाभ होगा.
किसानों की सुरक्षा मजबूत बनी रहे इसलिए सरकार को किसानों द्वारा उगाई जाने वाली फसलों को खरीदना चाहिए. यह कृषकों द्वारा की गई मेहनत का सही प्रतिफल पाने का एकमात्र तरीका है. किसानों के कल्याण के प्रति अपने मौलिक कर्तव्य को नहीं भूलना चाहिए.
छह साल पहले खुद प्रधानमंत्री मोदी ने विश्लेषण किया था कि जब किसान की अपनी उपज के लिए निरंतर आय होगी तो घरेलू कृषि उत्पादन दोगुना हो जाएगा. यदि कल की पीढ़ियों को खेती के लिए प्रोत्साहित करना है तो इस प्रमुख कृषि देश के लिए एक व्यापक और सुनिश्चित योजना होनी चाहिए.