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बहुत कम लोग जानते हैं कहां है दूसरा 'राजघाट'

इस साल महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती मनाई जा रही है. इस अवसर पर ईटीवी भारत दो अक्टूबर तक हर दिन उनके जीवन से जुड़े अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा कर रहा है. हम हर दिन एक विशेषज्ञ से उनकी राय शामिल कर रहे हैं. साथ ही प्रतिदिन उनके जीवन से जुड़े रोचक तथ्यों की प्रस्तुति दे रहे हैं. प्रस्तुत है आज नवीं कड़ी...

गांधी का राजघाट

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Published : Aug 24, 2019, 7:06 AM IST

Updated : Sep 28, 2019, 1:56 AM IST

बड़वानी: देश के दिल मध्यप्रदेश से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का बहुत लगाव रहा है. दिल्ली के बाद बापू की दूसरी समाधि यहीं मौजूद है. यहां बापू के साथ उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और उनके निजी सचिव की अस्थियां सुपुर्द-ए-खाक की गई थी.

पूरी दुनिया को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले बापू की जयंती व पुण्यतिथि पर दिल्ली में बनी उनकी समाधि स्थल राजघाट पर नमन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं, लेकिन राजघाट के अलावा मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के कुकरा बसाहट गांव में भी बापू की समाधि स्थल मौजूद है. यह राजघाट के बाद उनका दूसरा समाधि स्थल है. इसे 2017 में डूब क्षेत्र में आने के चलते प्रशासन ने कुकरा बसाहट में विस्थापित किया था.

महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती पर बड़वानी से ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट

नर्मदा नदी के किनारे बसा कुकरा गांव देश का ऐसा इकलौता स्थान है, जहां तीन महान हस्तियों की समाधि एक साथ बनी हुई है, जनवरी 1965 में गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी ने गांधीजी, उनकी पत्नी कस्तूरबा और गांधीजी के सचिव रहे महादेव भाई देसाई की अस्थियां लाकर नर्मदा किनारे इस ऐतिहासिक समाधि की नींव रखी थी, जो 12 फरवरी 1965 को बनकर तैयार हुआ था, जिसे राजघाट नाम दिया गया था, लेकिन बापू की जयंती हो या पुण्यतिथि, ज्यादातर समय यहां सन्नाटा ही पसरा रहता है.

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12 फरवरी के दिन हर साल बड़वानी तहसील में शासकीय अवकाश के साथ ही बापू की स्मृति में सर्वोदय मेले का आयोजन किया जाता है. जहां लोग उनकी समाधि स्थल पर पहुंचकर बापू को याद करते हैं. हालांकि, बदलते वक्त के साथ इस स्थान को लेकर प्रशासन का नजरिया भी बदलता गया, जबकि सरदार सरोवर बांध के बनने के बाद नर्मदा किनारे बना ये समाधि स्थल डूब क्षेत्र में आ गया, जिसे विस्थापित कर प्रशासन ने कुकरा बसाहट में स्थापित कर दिया है.

Last Updated : Sep 28, 2019, 1:56 AM IST

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