अमरावती : राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने आंध्र प्रदेश ग्राम पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. पांच फरवरी को प्रथम चरण के चुनाव के लिए मतदान होना है. राज्य निर्वाचन आयुक्त निम्मगड्डा रमेश कुमार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार प्रथम चरण में 11 जिलों में 146 राजस्व मंडल के लिए मतदान होगा.
एसईसी ने जिन परिस्थितियों में चुनाव हो रहे हैं, उस लिहाज से इन्हें ऐतिहासिक बताया. रमेश कुमार ने कहा कि लोग चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने को उत्साहित हैं. इन प्रतिकूल परिस्थितियों में चुनाव कराना आयोग के लिए यकीनन चुनौतीपूर्ण था. प्रथम चरण में विजयनगरम और प्रकाशम जिले में पंचायत चुनाव नहीं कराए जाएंगे. चुनाव अराजनैतिक आधार पर आयोजित किए जाएंगे. एसईसी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि चुनाव सुचारू रूप से सम्पन्न हों. उन्होंने कहा कि अगर कुछ भी गलत होता है, तो अंतत: उसके परिणाम भी सरकार को ही झेलने पड़ेंगे. कुमार ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल को भी मौजूदा स्थिति से अवगत कराया दिया है.
राज्य सरकार व आयोग में मतभेद
यह स्थानीय चुनावों के संचालन के बारे में आंध्र प्रदेश की स्थिति का प्रतिबिंब है. आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार व राज्य चुनाव आयोग के बीच लड़ाई एक स्तर पर पहुंच गई है. राज्य सरकार, जो चुनावों के संचालन का पुरजोर विरोध कर रही है, ने राज्य चुनाव आयोग की मदद करने से इनकार कर दिया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त रमेश कुमार किसी भी परिस्थिति में चुनाव कराने के लिए दृढ़ हैं. सरकार ने वैसे भी चुनाव स्थगित करने की प्रवृत्ति दिखाई है. एसआईएल रमेश कुमार ने शनिवार को अधिसूचना जारी की. अदालत के आदेशों की अधिसूचना जारी होने के बावजूद सरकार चुनाव प्रक्रिया को रोकने की कोशिश कर रही है.
जगन सरकार ने अध्यदेश किया भंग
राज्य चुनाव आयोग ने मार्च 2020 में ही पंचायतों, मंडल जिला परिषदों (जिला पंचायतों) का चुनाव कराने का फैसला किया. मंडल और जिला पंचायतों के लिए अधिसूचना जारी की गई. ग्राम पंचायतों के लिए अधिसूचना जारी की जानी है. इस बिंदु पर SEC रमेश कुमार ने घोषणा की कि अधिसूचना रद्द की गई थी, क्योंकि कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, इससे सरकार नाराज हो गई. मुख्यमंत्री जगन सहित सभी सरकारी अधिकारी इस बात से नाराज थे कि रमेश कुमार ने उनसे सलाह लिए बिना एकतरफा फैसला ले लिया. इसके बाद सरकार ने एक अध्यादेश को भंग कर दिया और SEC के कार्यकाल को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया. इसके प्रभाव से उन्हें पद से हटा दिया गया. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति कानराज को इस पद पर नियुक्त किया गया था. उसके बाद उच्च न्यायालय ने अध्यादेश को रद्द कर दिया और एसईसी के रूप में निम्मगड्डा वापस आ गए. हालांकि, सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी, लेकिन परिणाम निम्मगड्डा रमेश कुमार के पक्ष में आया. तब से सरकार, चुनाव आयोग द्वारा की गई हर कार्रवाई में बाधा डाल रही है.