नई दिल्ली : एक अध्ययन के अनुसार 2003 में पश्चिमी यूरोप और 2010 में रूस में जैसी भीषण गर्मी पड़ी थी, वैसी गर्मी भारत में आम हो रही है. यूरोप और रूस में उन वर्षों के दौरान भीषण गर्मी के कारण लगभग एक हजार लोगों की मौत हो गई थी और फसलें बर्बाद हो गई थीं.
'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' नामक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में भारत में भीषण गर्मी के लिए प्रमुख कारकों की पहचान की गई है. अध्ययन में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों को शामिल करते हुए 1951-1975 और 1976-2018 के बीच भीषण गर्मी की आवृत्ति और तीव्रता में परिवर्तन पर गौर किया गया.
पूरे भारत में लगभग 395 गुणवत्ता नियंत्रण केंद्रों द्वारा एकत्र आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए वैज्ञानिकों ने देश में अत्यधिक तापमान के लिए जिम्मेदार तंत्र की पहचान की. अध्ययन करने वाले समूह में पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक भी शामिल थे.
अध्ययन के प्रमुख लेखक मनीष कुमार जोशी ने मीडिया को बताया कि निष्कर्षों से स्पष्ट होता है कि गंगा के मैदानी भाग को छोड़कर पूरे भारत में गर्म दिनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.