सिंगापुर : जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग छिड़ी हुई है. ऐसे में ड्यूक-एनयूएस एकेडमिक मेडिकल सेंटर (एएमसी) के वैज्ञानिकों ने मानव प्रतिरक्षा या रोग प्रतिरोधक तंत्र बनाने वाले जीन और प्रोटीन का एक इंटरैक्टिव वेब-आधारित एटलस का विकास किया है .
एटलस, जिसे ईपीआईसी (एक्सटेंडेड पॉलीडिमैनेटिक इम्यून कैरेक्टराइजेशन) के रूप में जाना जाता है, यह कॉर्ड ब्लड से लेकर एडल्ट स्टेज तक एक विस्तृत, इम्यून सेल डेटाबेस का विस्तार करता है, इसे दुनियाभर के वैज्ञानिक समुदाय द्वारा प्रतिरक्षा तंत्र का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
ईपीआईसी डेटा मानचित्रों को स्तरीकृत और विश्लेषण करने के लिए प्रतिरक्षा मानचित्र का निर्माण करेगा औऱ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके इन अध्ययनों को बढ़ाने या गहरा करने में भूमिका निभाएगा, जिस तक वैज्ञानिक स्वतंत्र रूप से पंहुच सकेंगे.
सिंगहेल्थ ड्यूक-एनयूएस ट्रांसलेशनल इम्यूनोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक और अध्ययन के प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर सल्वाटोर अल्बानी ने कहा कि मानव इम्युनोम का अध्ययन सेलुलर स्तर पर मानव शरीर का एमआरआई लेने के समान है, जो हमें सही और गलत इंगित करने के लिए सक्षम करता है और हम बीमारी से निबटने के लिए क्या कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि मानव प्रतिरक्षा के एक व्यापक डेटासेट और विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला ईपीआईसी, क्लीनिकों और वैज्ञानिकों को प्रतिरक्षा के तंत्र को समझने, सटीक दवा के लिए नैदानिक प्रतिक्रियाओं की भविष्यवाणी करने और यहां तक कि नए टीकों और उपचारों की पहचान करने में एक अहम भूमिका निभाएगा का.
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टीकों का विकास करते समय, वैज्ञानिक प्रतिरक्षात्मक संकेतों को देखते हैं जो संभावित टीकों के लिए शरीर की जवाबदेही का अनुमान लगा सकते हैं. ईपीआईसी इन संकेतों को बहुत तेजी से पहचानने में मदद कर सकता है और टीका विकसित करने वालों की प्रक्रिया में तेजी ला सकता है.