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स्कूल बंद होने से कम विकसित देशों के 111 मिलियन छात्र प्रभावित : यूनिसेफ - यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल

यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूल बंद होने के कारण युवाओं में स्वास्थ्य जोखिम का खतरा बढ़ गया है और महामारी के कारण आर्थिक संभावनाएं भी कम हो गई हैं.

यूनिसेफ
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Published : Nov 21, 2020, 4:32 PM IST

नई दिल्ली :यूनीसेफ की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के कारण स्कूल बंद होने से दुनियाभर के लगभग 90 प्रतिशत छात्र प्रभावित हुए हैं, जिनमें 743 मिलियन लड़कियां शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक प्रभावित होने वाले 111 मिलियन से अधिक छात्र सबसे कम विकसित देशों से आते हैं.

यूनीसेफ ने कहा है कि महामारी ने बच्चों और किशोरों की लगभग 70 प्रतिशत मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित किया है. किशोर अवस्था में ही अधिकांश मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति विकसित होती है.

यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूल बंद होने के कारण युवाओं में स्वास्थ्य जोखिम का खतरा बढ़ गया है और महामारी के कारण आर्थिक संभावनाएं भी कम हो गई हैं.

इस बीच कुछ देशों ने कोविड-19 संक्रमण की दूसरी वेब का अनुभव किया है, जिससे हाल ही में इस बात पर चर्चा हुई है कि क्या स्कूलों को फिर से बंद किया जाना चाहिए.

इस वर्ष फरवरी से सितंबर तक एकत्र 191 देशों के डेटा में स्कूल को फिर से खोलने की स्थिति और कोरोना संक्रमण दर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया.

बता दें कि जुलाई 2020 में 31 देशों में यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ECDC) द्वारा कोरोना ट्रांसमिशन में स्कूलों की भूमिका का आकलन किया गया था. इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि स्कूली बच्चों से संक्रमण फैलना असामान्य था और जो बच्चे उस समय संक्रमित थे और वे स्कूल जाते थे, उन बच्चों में कोविड-19 का प्राथमिक स्कूल जाना नहीं था.

हालांकि, उच्च शिक्षा संस्थानों ने कई देशों में सामुदायिक प्रसारण में भूमिका निभाई है.

यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है. सामान्य तौर पर, कोविड-19 संक्रमित बच्चों और किशोरों के मुकाबले वयस्कों की तुलना में अधिक लक्षण दिखाई देते हैं. हालांकि, बच्चों के बीच कोविड-19 के गंभीर मामले सामने आए हैं.

दुनियाभर में लाखों बच्चे सह-रुग्णता जैसे कुपोषण, एचआईवी संक्रमण या दिव्यांग बच्चों और अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियों के कारण विशेष रूप से कमजोर हो सकते हैं.

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141 देशों की नवीनतम उपलब्ध यूनिसेफ रिपोर्टिंग से पता चलता है कि लगभग एक तिहाई देशों में नियमित टीकाकरण, बचपन की संक्रामक बीमारी और मातृ स्वास्थ्य सेवा देखभाल में कम से कम 10 प्रतिशत की गिरावट आई है.

इसके अलावा, एक नए कोरोना वैक्सीन को रोल आउट करने का दबाव नियमित टीकाकरण संसाधनों को नष्ट कर सकता है, जो बच्चों को वितरित करने की उनकी क्षमता को कम करता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों में स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट के प्रमुख कारणों में संक्रमण की आशंका, लॉकडाउन और सेवाओं के बंद होने या बंद होने की आशंका के कारण मांग में कमी है.

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