देहरादून :उत्तराखंड में पलायन आयोग के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है, जिसमें कुछ तथाकथित लोग अपने आप को पलायन आयोग के अधिकारी बताकर प्रदेश के ग्राम प्रधानों से मोटी रकम लूट रहे हैं. ईटीवी भारत को मिले कुछ दस्तावेजों और आयोग के रवैये से साफतौर पर ऐसा ही लगता है कि जरूर इस मामले में कुछ गड़बड़ है.
दरअसल, आयोग का अधिकारी बताकर सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी तथाकथित माइग्रेशन सोलर योजना के संबंध में एक व्यक्ति द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है. इसमें पूरे प्रदेश के सैकड़ों ग्राम प्रधानों को जोड़ा गया है. इस ग्रुप में ग्राम प्रधानों को इस योजना के आवेदन फॉर्म भरने के लिए कहा जा रहा है. जिसमें सोलर लाइट को 90% सब्सिडी के साथ गांवों में बेचा जा रहा है. इस आवेदन के लिए आयोग के नाम से एक अकाउंट नम्बर भी जारी किया गया है.
इस व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन द्वारा अपना नाम दिनेश रावत बताया जा रहा है, जो खुद को पलायन आयोग का सदस्य बता रहा है. वहीं एसएस नेगी नाम से डिस्ट्रिक्ट सत्र के अन्य अधिकारी का भी हवाला दिया जा रहा है. ग्रुप में सभी प्रधानों से इस योजना का लाभ उठाने के लिए कहा जा रहा है. साथ ही दिए गए अकाउंट नम्बर पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए भी कहा जा रहा है.
मिली जानकारी के अनुसार सैकड़ों प्रधानों ने इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन भी किया है. इस योजना के लिए जो आवेदन फॉर्म ग्रुप में डाला गया है, वह उत्तराखंड सरकार के लोगों के साथ एक सरकारी फॉर्म की तरह दिखता है. ग्रुप में कथाकथित व्यक्ति जो खुद को पलायन आयोग का अधिकारी बता रहा है उसका आई कार्ड भी वायरल हो रहा है. आई कार्ड काफी हद तक असली नजर आता है, लेकिन आई कार्ड में ज्वॉइनिंग डेट गलत है. जिससे फर्जीवाड़ा साफतौर पर दिखता है.
कमाल की बात तो यह है, जब हमने इस संबंध में पलायन आयोग से जानकारी ली, तो पलायन आयोग के अध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि इस तरह की कोई योजना न तो चल रही है और न चलाई जाती है. जब दिनेश नाम के कर्मचारी और पलायन आयोग के आई कार्ड के बारे में उनसे पूछा गया तो पलायन आयोग के अध्यक्ष ने दिनेश को अपना कर्मचारी बताते हुए हाल में सदस्य बनाए जाने की जानकारी दी है. जब ईटीवी भारत ने कुछ पुख्ता जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने अपने रिसर्च अधिकारी डीके नंदानी का नंबर दिया.