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आईएनएक्स मीडिया स्कैम : चिदंबरम को गुरुवार तक गिरफ्तार नहीं कर सकेगी ED

पी चिदंबरम के खिलाफ ईडी की कार्रवाई पर गुरुवार तक रोक लग गई है. ईडी उन्हें गुरुवार तक गिरफ्तार नहीं कर सकेगी. हालांकि, इस अवधि में चिदंबरम सीबीआई की कस्टडी में रहेंगे. जानें क्या है पूरा मामला

सीबीआई कि विशेष अदालत में पेशी के बाद चिदंबरम (फाइल फोटो)

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Published : Aug 28, 2019, 8:08 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 3:54 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में पी चिदंबरम को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण की अवधि बढ़ा दी है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) अब पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को गुरुवार तक गिरफ्तार नहीं कर सकेगी.

दरअसल, धन शोधन के इस मामल में ईडी चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है. इस मामले में बुधवार को न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ सुनवाई कर रही है.

चिदंबरम की अपील पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनी. मेहता ईडी की पैरवी कर रहे हैं. पीठ गुरुवार को भी दलीलें सुनेगी.

मेहता ने कहा कि चिदंबरम खुद को पीड़ित के तौर पर पेश करने की कोशिश कर रहे हैं और मामले में ईडी को उनकी गिरफ्तारी से रोकने का प्रयास कर रहे हैं.

मेहता ने पीठ से कहा, 'उन्हें राजनीतिक विरोधी होने को लेकर प्रताड़ित नहीं किया जा रहा है, जैसा कि उनका (चिदंबरम का) आरोप है. हमारे पास यह प्रदर्शित करने के लिए साक्ष्य हैं कि यह धन शोधन का एक गंभीर मामला है. मामले में हमने अकाट्य सामग्री जुटाई है.'

शीर्ष अदालत अग्रिम जमानत रद्द करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ चिदंबरम की अपील पर सुनवाई कर रही है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने याचिका के जरिए दिल्ली उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसके तहत अदालत ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में उनकी अग्रिम जमानत नामंजूर कर दी थी. ये मामले सीबीआई और ईडी ने दर्ज किये थे.

मेहता ने चिदंबरम को अग्रिम जमानत दिये जाने का विरोध करते हुए कहा, 'खुद को पीड़ित के तौर पर पेश कर भय का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है.'

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सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक एफआईआर दर्ज की थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि 2007 में वित्त मंत्री चिदंबरम के कार्यकाल में आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेश से 305 करोड़ का निवेश मिले. इसे प्राप्त करने के लिये विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी देने में अनियमिततायें की गयीं. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन का मामला दर्ज किया था. इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन का मामला दर्ज किया था.

बता दें कि चिदंबरम संप्रग सरकार में 2004 से 2014 के दौरान वित्त मंत्री और गृह मंत्री थे. उन्होंने मंगलवार, 27 अगस्त को शीर्ष अदालत में कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय को इस मामले में उनसे की गयी पूछताछ की प्रतिलिपि पेश करने का निर्देश दिया जाये.

चिदंबरम ने दावा किया था कि जांच एजेन्सी उन्हें अपमानित करने के लिये गिरफ्तार करना चाहती है. चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए थे. सिब्बल ने एक आवेदन दायर कर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पिछले साल 19 दिसंबर, एक जनवरी और 21 जनवरी, 2019 को पूर्व केन्द्रीय मंत्री से पूछताछ के दौरान पूछे गये सवाल और उनके जवाबों का लिखित ब्योरा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था.

चिदंबरम की ओर से ही एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दावा किया कि पूर्व मंत्री सवालों के जवाब देने से बच नहीं रहे थे, और उन्होंने जांच में पूरी तरह सहयोग किया है. उन्होंने कहा, 'आप (ईडी) मुझे गिरफ्तार करना चाहते हैं, लेकिन किस लिये? जवाब है- मुझे अपमानित करने के लिये, मुझे अपमानित करने के लिये और मुझे अपमानित करने के लिये, मिनट दर मिनट और घंटा दर घंटा.'

सिंघवी ने दलील दी कि ईडी ने मामला 2017 में दर्ज किया है जबकि अपराध कथित तौर पर 2007-08 के दौरान हुए. उन्होंने कहा कि जिन दंडात्मक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है वे पीएमएलए के तहत 2009 के संशोधन के बाद ही अपराध हुए और ईडी इसे पूर्व तिथि से नहीं कर सकती.

(एक्सट्रा इनपुट- पीटीआई)

Last Updated : Sep 28, 2019, 3:54 PM IST

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