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'चौकीदार चोर है' बयान पर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को दी नसीहत

उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामला गुरुवार को बंद करते हुए उन्हें भविष्य में अधिक सावधानी बरतने की सलाह दी है. राहुल पर अवमानना का यह मामला राफेल लड़ाकू विमान सौदा प्रकरण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष की कथित टिप्पणी 'चौकीदार चोर है' को गलत तरीके से शीर्ष अदालत के हवाले से कहे जाने से संबंधित था. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर.

राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' बयान पर कल फैसला सुनाएगा SC

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Published : Nov 13, 2019, 7:55 PM IST

Updated : Nov 14, 2019, 1:18 PM IST

नई दिल्ली :प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियां सच्चाई से कोसों दूर थीं, उन्हें इससे बचना चाहिए था और वह अधिक सावधानी बरत सकते थे. पीठ ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी पुष्टि के बगैर ही अवमाननाकर्ता (राहुल गांधी) ने प्रधानमंत्री के खिलाफ कतिपय टिप्पणियां कीं.'

पीठ ने राहुल गांधी द्वारा दाखिल हलफनामे में बिना शर्त क्षमा याचना किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, 'राजनीतिक परिदृश्य में गांधी का एक महत्वपूर्ण स्थान है और राजनीतिक बहस में किसी भी अदालत को नहीं घसीटा जाना चाहिए, चाहे वह उचित हो या अनुचित.' पीठ ने कहा, 'गांधी को भविष्य में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है.'

अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल को लेकर कही यह बड़ी बात.

पीठ ने कहा कि अवमाननाकर्ता के हलफनामे को देखते हुये अवमानना कार्यवाही को आगे नहीं ले जाना चाहिए. पीठ ने आगे कहा, 'गांधी द्वारा दाखिल हलफनामे के मद्देनजर, हम उनके खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही बंद करते हैं.'

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बता दें कि साल की शुरुआत में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'चौकीदार चोर है' बयान दिया गया था. हालांकि राहुल ने इसे अनजाने में दिया बयान बताते हुए माफी मांगी थी.

गौरतलब है कि भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका दायर की थी, जिसके बाद CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इससे पहले गांधी ने स्वीकार किया था कि चुनाव प्रचार की गरमा-गरमी के दौरान यह टिप्पणी कर दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने माफी भी मांगी थी. इसके बाद SC ने मामले को लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा था.

बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर याचिका के संबंध में राहुल को नोटिस जारी किया.

शीर्ष अदालत ने रक्षा मंत्रालय द्वारा लीक राफेल दस्तावेजों को रिकॉर्ड में लेने और जांच करने की अनुमति देने का निर्देश दिया था, जिसमें गांधी ने यह दावा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रुख से साफ दिखता है कि पीएम मोदी ने चोरी की वारदात की.

गांधी के सटीक शब्द थे, SC ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चौकीदारजी ने चोरी की है. न्यायालय में दायर राहुल के स्पष्टीकरण में पढ़ा गया कि सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही के बारे में किसी भी तरीके से किसी दृष्टिकोण को अपमानित करने का कोई मामूली इरादा नहीं था.

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SC ने बाद में एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा था कि कोर्ट ने राफेल जेट सौदे के विवाद को लेकर पीएम मोदी के बारे में ऐसा कोई अवलोकन नहीं किया है.

याचिका के अनुसार, लेखी ने अनुरोध किया कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने जनता की आंखों के सामने पीएम की छवि को धूमिल करने का जान बूझकर प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अदालत के 10 अप्रैल के आदेश की गलत व्याख्या की है, जिसमें अदालत ने राफेल के 'लीक' दस्तावेजों की जांच करने की अनुमति दी थी.

राहुल गांधी की सार्वजनिक टिप्पणियों के बाद, राफेल सौदे पर मोदी के खिलाफ टिप्पणी पर भाजपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी चुनाव आयोग से संपर्क किया था और राहुल पर शीर्ष अदालत के माध्यम से अपनी बात रखने का भी आरोप लगाया गया.

इस केस में राहुल गांधी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हैं.

राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना ​​मामले के अलावा, शीर्ष अदालत गुरुवार को सबरीमाला और राफेल मामलों में पुनर्विचार याचिकाओं के एक बैच पर भी फैसला सुनाएगी.

Last Updated : Nov 14, 2019, 1:18 PM IST

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