नई दिल्ली :प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा की गई टिप्पणियां सच्चाई से कोसों दूर थीं, उन्हें इससे बचना चाहिए था और वह अधिक सावधानी बरत सकते थे. पीठ ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसी पुष्टि के बगैर ही अवमाननाकर्ता (राहुल गांधी) ने प्रधानमंत्री के खिलाफ कतिपय टिप्पणियां कीं.'
पीठ ने राहुल गांधी द्वारा दाखिल हलफनामे में बिना शर्त क्षमा याचना किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, 'राजनीतिक परिदृश्य में गांधी का एक महत्वपूर्ण स्थान है और राजनीतिक बहस में किसी भी अदालत को नहीं घसीटा जाना चाहिए, चाहे वह उचित हो या अनुचित.' पीठ ने कहा, 'गांधी को भविष्य में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है.'
पीठ ने कहा कि अवमाननाकर्ता के हलफनामे को देखते हुये अवमानना कार्यवाही को आगे नहीं ले जाना चाहिए. पीठ ने आगे कहा, 'गांधी द्वारा दाखिल हलफनामे के मद्देनजर, हम उनके खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही बंद करते हैं.'
बता दें कि साल की शुरुआत में चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'चौकीदार चोर है' बयान दिया गया था. हालांकि राहुल ने इसे अनजाने में दिया बयान बताते हुए माफी मांगी थी.
गौरतलब है कि भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका दायर की थी, जिसके बाद CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इससे पहले गांधी ने स्वीकार किया था कि चुनाव प्रचार की गरमा-गरमी के दौरान यह टिप्पणी कर दी गई थी, जिसके बाद उन्होंने माफी भी मांगी थी. इसके बाद SC ने मामले को लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा था.
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर याचिका के संबंध में राहुल को नोटिस जारी किया.