दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

ओडिशा सरकार को SC ने लगाई फटकार, कहा-मठों का महत्व को नहीं समझते तो हस्तक्षेप न करें

उच्चतम न्यायालय ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर के पास चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान को रोकने के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने ओडिशा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर वह मठों के महत्व को नहीं समझते तो हस्तक्षेप मत करें. बता दें कि ओडिशा सरकार ने जगन्नाथ मंदिर की चारदीवारी से 75 मीटर के भीतर एक अतिक्रमण अभियान चलाया था. इस अतिक्रमण में सदियों पुराने मठों को तोड़ दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

फाइल फोटो

By

Published : Oct 4, 2019, 12:03 AM IST

नई दिल्लीःजगन्नाथ मंदिर के आस पास मठों को तोड़ने के लिए उच्च्तम न्यायालय ने ओडिशा सरकार को फटकार लगाई है. न्यायालय ने कहा कि कुछ भी एसा जिसका पुरात्तविक महत्व है उसे नष्ट करने के बजाय संरक्षित किया जाना चाहिए. न्यायालय ने पुरी में चल रहे अतिक्रमण को रोकने के आदेश दिए हैं.

पीठ ने पाया कि एक मठ में सिख गुरू रुके थे. आपको बता दें कि राज्य सरकार ने दावा किया था कि वह मठ सिर्फ 60-70 साल पुराना है. न्यायालय ने रज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर वह मठों के महत्व को नहीं समझते तो उन्हों इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.

न्यायाधीश अरुन मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में शंकराचार्य जैसे हिंदू द्रष्टाओं से परामर्श करना चाहिए.

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने दावा किया है कि जरजर इमारतों को नष्ट करने के लिए सहमति पत्र लिए गए थे. उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका खारिज कर दिया है.

आपको बता दें, ओडिशा राज्य सरकार ने मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुरी में 12 वीं शताब्दी के मंदिर की चारदीवारी से 75 मीटर के भीतर एक अतिक्रमण अभियान चलाया था.

पढ़ें-तमिलनाडु : कीलाडी में मिली 2600 साल पुरानी ईंटों की चार दीवारें

पुरी के जिलाधिकारी बलवंत सिंह ने सितंबर माह की शुरूआत में पुरी के विधायक जयंत सारंगी तथा अन्य लोगों के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की थी.

बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि यह मुहिम संतों और स्थानीय निवासियों के विरोध के बावजूद जारी रहेगी. उन्होंने यह भी कहा था कि इसे विध्वंसक गतिविधि कहना गलत होगा.

जिला प्रशासन ने उन आरोपों को भी खारिज किया कि प्रभावित लोगों को मुआवजा नहीं मिल रहा है. जिलाधिकारी ने कहा कि वह प्रभावित लोगों से इस पर चर्चा करेंगे.

गौरतलब है कि जिला प्रशासन ने मंदिर के 75 मीटर के दायरे में स्थित 300 साल पुराने नानगुली मठ और 900 साल पुराने इमार मठ को ढहा दिया था, जिसके बाद लोगों में असंतोष था.

जिलाधिकारी के साथ बैठक करने वाले दल में शामिल दामोदर प्रधानी ने कहा,'जिलाधिकारी ने निर्माण कार्यों को ढहाने को रोकने के हमारे प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. हम मुख्यमंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाएगें.'

ओडिशा सरकार ने निर्णय लिया था कि वह मंगू मठ और पंजाबी मठ को भी तोड़ेगी क्योंकि वह मंदिर की चारदीवारी से 75 मीटर भीतर आते हैं. हालांकि इसके बाद दुनिया भर के सिख लोगों ने इसका जमकर विरोध किया.

ABOUT THE AUTHOR

...view details