नई दिल्लीःजगन्नाथ मंदिर के आस पास मठों को तोड़ने के लिए उच्च्तम न्यायालय ने ओडिशा सरकार को फटकार लगाई है. न्यायालय ने कहा कि कुछ भी एसा जिसका पुरात्तविक महत्व है उसे नष्ट करने के बजाय संरक्षित किया जाना चाहिए. न्यायालय ने पुरी में चल रहे अतिक्रमण को रोकने के आदेश दिए हैं.
पीठ ने पाया कि एक मठ में सिख गुरू रुके थे. आपको बता दें कि राज्य सरकार ने दावा किया था कि वह मठ सिर्फ 60-70 साल पुराना है. न्यायालय ने रज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर वह मठों के महत्व को नहीं समझते तो उन्हों इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
न्यायाधीश अरुन मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में शंकराचार्य जैसे हिंदू द्रष्टाओं से परामर्श करना चाहिए.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने दावा किया है कि जरजर इमारतों को नष्ट करने के लिए सहमति पत्र लिए गए थे. उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका खारिज कर दिया है.
आपको बता दें, ओडिशा राज्य सरकार ने मंदिर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुरी में 12 वीं शताब्दी के मंदिर की चारदीवारी से 75 मीटर के भीतर एक अतिक्रमण अभियान चलाया था.
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