नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी द्वारा एक मामले में अग्रिम जमानत के लिए दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उनके कार्यकाल के दौरान बलवंत सिंह मुल्तानी की हत्या का आरोप है. अदालत ने सैनी को कोई संरक्षण नहीं दिया और कहा कि वह जांच में सहयोग करेंगे और इससे उनकी सुरक्षा होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से तीन सप्ताह के भीतर इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने को कहा है. पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बुधवार को अदालत के समक्ष दलील दी कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है और पंजाब के पास कोई क्षेत्राधिकार नहीं है. चंडीगढ़ में किसी को प्रताड़ित करने के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है.
'सैनी की जान को खतरा'
अदालत के समक्ष दलील देते हुए अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने 30 पेज के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें सैनी को अग्रिम जमानत दे दी गई. ट्रायल जज ने कहा कि यह एक राजनीतिक प्रतिशोध का मामला हो सकता है. 29 साल में सैनी के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. इन्हें जान का खतरा है.
'सीएम के खिलाफ पांच केस किए थे दर्ज'
रोहतगी ने कहा कि वे एक उच्च पदस्थ अधिकारी हैं. उन्होंने कई सैकड़ों ऑपरेशन में भाग लिया है. इसके साथ ही आतंकवादी नेटवर्क का भी भंडाफोड़ किया है. जब वह डीजीपी थे तब उन्होंने मौजूदा सीएम के खिलाफ पांच केस दर्ज किये थे.
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अगली सुनवाई में रखेंगे बात
अदालत ने राज्य को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि कोई भी नया मामला दायर नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह पिछले एक महीने में आगे नहीं बढ़ा है. इसमें नवीनतम मामले को वापस लेने को लिए कहा गया है. पंजाब ने अदालत से कहा कि वह अगली सुनवाई में अपने बयान दर्ज करायेंगे.
क्या है मामला
पूरा मामला 1990 के दशक का है, जब चंडीगढ़ के एसएसपी सुमेध सिंह सैनी थे. बता दें कि 1991 में सैनी पर एक आतंकी हमला हुआ. उस हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि हमले में सैनी खुद भी जख्मी हो गए थे. उसी मामले में पुलिस ने सुमेध सैनी के आदेश पर पूर्व आईएएस के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद यह बात सामने आई थी कि पुलिस हिरासत से वो फरार हो गया. इस पर परिजनों का आरोप था कि बलवंत सिंह मुल्तानी की पुलिस के टॉर्चर से मौत हो गई.