नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाए जाने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने किसान संगठनों का पक्ष सुनने की बात कही है. साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ. अदालत की तरफ से किसान संगठनों को नोटिस दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि ऐसे मामलों में जल्द से जल्द समझौता होना चाहिए. अदालत ने सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने की बात कही है, ताकि इस मुद्दे पर चर्चा हो सके. अब इस मामले की सुनवाई कल होगी.
उच्चतम न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई कल के लिए टाल दी है, जिसमें अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तत्काल हटाया जाए. याचिका में कहा गया है कि रास्ता बंद होने से यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और इससे कोविड-19 के मामलों में भी इजाफा हो सकता है
मामले पर फैसला कल सुनाने की बात करते हुए सीजेआई ने कहा कि हम एक समिति बनाएंगे, जो इस मुद्दे को सुलझाएगी. इसमें भारतीय किसान यूनियन भी शामिल होगा. इसके साथ ही मामले पर कोर्ट ने केंद्र सरकार, हरियाणा और पंजाब सरकार को नोटिस भी जारी किया है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से दायर वकील ने कहा कि हमने यह मामला दायर किया, जो किसानों से संबंधित है. आपने पहले ही अमित साहनी मामले (शाहीन बाग) पर फैसला दे दिया है.
सॉलिसिटर जनरल बोले कि वे हरीश साल्वे के लिए पेश होना चाहते हैं.
चीफ जस्टिस बोले कि तो क्या आप चाहते हैं कि अधिकारी सभी बॉर्डर को खोलने का निर्देश दे दें.
इस पर वकील ने कहा कि हां.. अमित साहनी के मामले में यही कहा गया था.
सीजेआई ने पूछा कि उस वक्त परिस्थिति क्या थी?
वकील बोले कि शाहीन बाग प्रदर्शन.
सीजेआई ने पूछा कि उस वक्त वहां कितने लोग थे?
वकील ने जवाब देते हुए कहा कि 3.4 लाख(शाहीन बाग)
यहां भी लोगों की संख्या इतनी ही है.
चीफ जस्टिस बोले कि कानून व्यवस्था के मामले में कुछ भी पूर्व निर्धारित नहीं होता है. हम इस मामले को देखेंगे.
वकील- हमें नहीं पता वहां कौन प्रदर्शन कर रहा है.
सीजेआई- यह अखबारों में है.
वकील- लेकिन फिर आप कहेंगे कि अखबारों के आधार पर कुछ नहीं कह सकते.
सीजेआई- हमारे साथ अनावश्यक बहस न करें. किसने कहा कि अखबार विश्वसनीय नहीं होते.
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश एसए बोब्डे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना तथा वी रामासुब्रमण्यन की पीठ विधि छात्र ऋषभ शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को दिल्ली की सीमाओं की सड़कें खुलवाने, प्रदर्शनकारियों को आबंटित स्थान पर स्थानांतरित करने और कोविड-19 पर लगाम लगाने के लिये प्रदर्शन स्थल पर सामाजिक दूरी का पालन और मास्क लगाने जैसे नियमों का पालन सुनिश्चित कराने को कहा है.
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याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली पुलिस ने 27 नवंबर को प्रदर्शनकारियों को यहां बुराड़ी में निरंकारी मैदान पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की इजाजत दी थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं को बंद कर दिया. अधिवक्ता ओम प्रकाश परिहार के जरिये दायर याचिका में कहा गया कि दिल्ली की सीमाओं पर जारी प्रदर्शन की वजह से प्रदर्शनकारियों ने रास्ते बंद कर रखे हैं और सीमा बिंदु बंद हैं और गाड़ियों की आवाजाही बाधित है. जिससे यहां प्रतिष्ठित सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज के लिये आने वालों को भी मुश्किलें हो रही हैं.
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने आज उस याचिका पर सुनवाई की है जिसमें अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को तत्काल हटाएं. याचिका में कहा गया है कि रास्ता बंद होने से यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और इससे कोविड-19 के मामलों में भी इजाफा हो सकता है.