दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

नितिन जौहरी को जमानत के लिए हाईकोर्ट जाने का दिया आदेश - जौहरी के वकील मुकुल रोहतगी

सुप्रीम कोर्ट ने नितिन जौहरी को जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील करने को कहा है.

जमानत के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाएं जौहरी - सुप्रीम कोर्ट
जमानत के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाएं जौहरी - सुप्रीम कोर्ट

By

Published : Jun 10, 2020, 10:37 PM IST

नई दिल्लीः भूषण स्टील के पूर्व सीएफओ नितिन जौहरी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने जौहरी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता, मुकुल रोहतगी को बताया कि जमानत के लिए उन्हें उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की जरूरत है. उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नहीं आना चाहिए था. हमारे क्षेत्राधिकार का उपयोग लोगों द्वारा इस तरह नहीं किया जाना चाहिए.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अदालत के सामने तर्क दिया कि इस तरह के गंभीर आर्थिक मामलों में जहां हजारों करोड़ शामिल होते हैं वहां जमानत के लिए धारा 438 की बजाय अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की जाती है जो पीएमएलए प्रावधानों को चुनौती देते हैं और फिर कोर्ट इसपर जमानत देने का आदेश सुरक्षित रखता है.

रोहतगी ने यह कहते हुए विरोध किया कि शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने के अधिकार को बरकरार रखा है और उसे ऐसा करने से कैसे रोका जा सकता है. रोहतगी ने सवाल किया, "वे कैसे कह सकते हैं कि आधे लोग सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे और अन्य लोग हाईकोर्ट में जाएंगे? उन्होंने आगे कहा कि संसद में प्रावधान पारित हो चुका है और इस तरह के मामलों में यही आदेश पारित किया जाना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'न्यायालय का क्षेत्राधिकार नहीं बदलता है और पहले भी कई स्थानों पर इसका प्रयोग किया गया है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप कानून में गलत हैं लेकिन आप यहां आने में गलत हैं. हम यह नहीं कह रहे हैं कि अधिकार नहीं है. हम कह रहे हैं कि हम इसे प्रयोग नहीं करने का विकल्प चुनते हैं.'

एसजी ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा क्योंकि पीएमएलए प्रावधानों को चुनौती देने वाले कई मामले दायर किए गए हैं. अदालत ने उसे सभी मामलों की एक सूची बनाने और यह बताने के लिए कहा कि कौन सा मामला किस बिंदु पर और किस स्तर पर उठा. उसके बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई.

ABOUT THE AUTHOR

...view details