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जम्मू कश्मीर में पाबंदी : सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मुख्य बातें, यहां पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को केंद्र शासित प्रदेश में प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने का आदेश दिया और इंटरनेट के इस्तेमाल को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकारों का हिस्सा बताया. जानें इस फैसले से जुड़ी अहम बातें.

कॉन्सेप्ट फोटो
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Published : Jan 10, 2020, 12:26 PM IST

Updated : Jan 10, 2020, 12:51 PM IST

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में लगी पाबंदियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा.

कोर्ट ने इंटरनेट बैन और धारा 144 को लेकर सरकार को समीक्षा करने का आदेश दिया है. इसके लिए कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है, जो सात दिनों के भीतर सरकार के पाबंदियां लगाने वाले फैसलों की समीक्षा करेगी.

ई-बैंकिंग
कोर्ट ने आदेश दिया कि कश्मीर में बैंकिंग, व्यापारिक सेवाएं तुरंत बहाल हों. कोर्ट ने ई-बैंकिंग सुविधा तुरंत बहाल करने का आदेश दिया है. इसके अलावा सरकारी वेबसाइट तक तक पहुंचने का जरिया पुख्ता हो.

इंटरनेट
उच्च्तम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संस्थाओं में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा है. उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से इंटरनेट के निलंबन के सभी आदेशों की समीक्षा करने के लिए कहा. उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत इंटरनेट के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी.

धारा 144
कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को लेकर उच्च्मत न्यायालय ने कहा कि किसी विचार को दबाने के लिए धारा 144 सीआरपीसी (निषेधाज्ञा) का इस्तेमाल उपकरण के तौर पर नहीं किया जा सकता. कश्मीर में लगी रोक को लेकर उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मजिस्ट्रेट को धारा 144 जारी करते समय इस पर विचार करना चाहिए और तालमेल बनाने का प्रयास करना चाहिए.

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कमेटी
उच्च्तम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने और उन्हें सार्वजनिक करने के लिए कहा. इसके लिए कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया है.

आपको बता दें किपिछले साल पांच अगस्त को पूववर्ती जम्मू कश्मीर प्रदेश से संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा वापस लिये जाने के बाद केंद्र सरकार के इस फैसले को चुनौती देते हुए दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने यह फैसला दिया.

Last Updated : Jan 10, 2020, 12:51 PM IST

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