दिल्ली

delhi

सुप्रीम कोर्ट का एयर इंडिया को आदेश, 10 दिन बाद न हो मिडिल सीट की बुकिंग

By

Published : May 25, 2020, 2:25 PM IST

Updated : May 25, 2020, 2:31 PM IST

केंद्र और एयर इंडिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाई कोर्ट ने मिडिल सीट की बुकिंग नहीं करने का आदेश दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दस दिनों तक मिडिल सीट पर यात्री बैठ कर सफर कर पाएंगे. लेकिन कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि 10 दिनों के बाद बीच की सीट खाली छोड़नी होगी.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र और एयर इंडिया को अगले दस दिन के लिये अपनी निर्धारित उड़ानों में विमान की बीच की सीट पर भी यात्रियों को बिठाने की सोमवार को अनुमति प्रदान कर दी. लेकिन मिडिल सीटों के लिए बुकिंग 10 दिन की मियाद के बाद नहीं ली जाएगी.

यह अनुमति देते हुये न्यायालय ने टिप्पणी की कि सरकार को वाणिज्यिक विमान सेवाओं की सेहत की बजाये नागरिकों की सेहत के लिये अधिक चिंतित होना चाहिए.

प्रधान न्ययाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने ईद के अवसर पर अवकाश होने के बावजूद वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से केन्द्र की अपील पर सुनवाई की और एयर इंडिया को दस दिन तक बीच वाली सीट पर भी यात्री बिठाने की अनुमति दी.

साथ ही पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के सर्कुलर के खिलाफ दायर याचिका पर यथाशीघ्र निर्णय लिया जाये. पीठ ने कहा कि एयर इंडिया और दूसरी विमान कंपनियों को विमान के भीतर दो यात्रियों के बीच की सीट रिक्त रखकर सामाजिक दूरी के नियम का पालन करने सहित सुरक्षा उपायों के बारे में उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना होगा.

पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के 22 मई के आदेश के खिलाफ केन्द्र और एयर इंडिया की अपील पर सुनवाई करते हुये सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, आपको नागरिकों की सेहत के बारे में ज्यादा चिंतित होना चाहिए न कि वाणिज्यिक विमान सेवाओं की सेहत के बारे में.

उच्च न्यायालय ने एयर इंडिया के एक पायलट की याचिका पर एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से जवाब मांगा था. इस याचिका में दावा किया गया है कि विमान कंपनी विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को भारत लाते समय कोविड-19 से संबंधित उपायों का पालन नहीं कर रही हैं.

उच्च न्यायालय ने एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को अपनी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश देते हुये इस मामले को दो जून के लिये सूचीबद्ध कर दिया था.

पायलट देवेन कनानी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि कोरोना महामारी की वजह से विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने के संबंध में भारत सरकार के 23 मार्च के सर्कुलर में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिये कुछ शर्ते निर्धारित की गयी थीं.

हालांकि, विमान में दो यात्रियों के बीच की सीट खाली रखने वाली शर्त का एयर इंडिया पालन नहीं कर रही है.

कनानी ने अपने दावे के समर्थन में सैन फ्रांसिस्को और मुंबई के बीच एयर इंडिया की उड़ान की तस्वीर भी पेश की जिसमे सारी सीटें भरी हुयी थीं.

एयर इंडिया ने पायलट की याचिका का विरोध किया था और उच्च न्यायालय को बताया था कि 23 मार्च के सकुलर के बाद सरकार ने 22 मई को एक नया सर्कुलर जारी किया है जिसमें 25 मई से घरेलू उड़ानों की अनुमति दी गयी है.

एयर इंडिया ने कहा कि नये सर्कुलर में यह नहीं कहा गया है कि बीच की सीट खाली रखनी होगी.

पढ़ें- आंध्र-बंगाल छोड़ देशभर में घरेलू विमान सेवाएं शुरू

उच्च न्यायालय ने एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश देते हुये याचिका दो जून के लिये सूचीबद्ध कर दी थी. साथ ही अदालत ने कनानी को अपनी याचिका में संशोधन कर 22 मई के सर्कुलर को चुनौती देने की अनुमति प्रदान कर दी थी.

Last Updated : May 25, 2020, 2:31 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details