दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

असम NRC : विदेशी (न्यायाधिकरण) से मौलिक अधिकारों के हनन का खतरा, SC ने केंद्र से जवाब मांगा

ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) द्वारा दायर एक याचिका पर SC ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेज कर 2018 में प्रकाशित एनआरसी मसौदे में शामिल लोगों की आपत्ति खारिज करने को कहा है.

कॉन्सेप्ट इमेज

By

Published : Jul 15, 2019, 11:16 PM IST

नई दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से बाहर रह गये लोगों के मामलों पर विचार की प्रक्रिया जारी है. इसके लिए विदेशी (न्यायाधिकरण) संशोधन आदेश, 2019 के तहत काम किया जा रहा है. कुछ याचिकाकर्ता (AAMSU) इस प्रक्रिया को मौलिक अधिकारों का हनन बता रहे हैं. AAMSU की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और असम सरकार को नोटिस जारी किया.

शीर्ष अदालत ने मौलिक अधिकारों के हनन संबंधी दलीलों पर केन्द्र से जवाब मांगा है. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की एक पीठ ने 'अखिल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ' (AAMSU) की दलीलों पर संज्ञान लिया है.

AAMSU की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलों में कहा कि जिनके नाम एनआरसी में शामिल नहीं है, वे इसे चुनौती देने को मजबूर होंगे. सिब्बल ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को 60 दिनों के भीतर प्रमाणित प्रति नहीं मिलती है, तो मैं अपील दायर नहीं कर सकता और इसके अलावा मुझे गिरफ्तार भी किया जा सकता है. जो उचित नहीं है.

सिब्बल ने कहा कि अपील का अधिकार प्रभावित होगा क्योंकि एनआरसी में छूटे हुए लोगों की अपील को उनकी अनुपस्थिति में विदेशियों के न्यायाधिकरण द्वारा सुना जा सकता है.

इस मामले पर याचिकाकर्ता ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष अजीजुर रहमान ने कहा जिन लोगों का नाम लिस्ट में शामिल नहीं किया गया उनका क्या होगा. इस पर कोर्ट ने उन्हें 60 दिनों में अपील करने को कहा जबकि सरकार को 40 दिन में अपील करने वाले व्यक्ति को जवाब देना होगा.

ईटीवी भारत से बात करते याचिकाकर्ता

वहीं, अधिवक्ता मुस्तफा के हुसैन ने बताया कि जिसका नाम एनआरसी की फाइनल लिस्ट में नहीं होगा उस पर अपील करने का समय कब से शुरू होगा. इस बात पर याचिका दी गई है. उन्होंने कहा कि अपील के लिए केंद्र सरकार ने 30 मई को नोटिफिकेशन जारी किया है. उन्होंने कहा कि तीन बिंदुओं पर हमें आपत्ति है. इसके लिए हमने सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मांगा है. सुप्रीम कोर्ट चार सप्ताह के बाद दोबारा सुनवाई करेगी.

ईटीवी भारत से बात करते अधिवक्ता

बता दें कि विगत 30 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि एनआरसी समन्वयक को असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरएसी) में नाम शामिल नहीं होने के मामले में चुनौती देने वाले लोगों को उचित मौका दिया जाए.

गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने समन्वयक प्रतीक हजेला से कहा था 'आपको 31 जुलाई की समयसीमा तक काम पूरा करना है, सिर्फ इस वजह से प्रक्रिया को जल्दबाजी में न करें.'

पढ़ें- असम सरकार ने जारी की NRC की नई सूची, एक लाख से ज्यादा लोगों के नाम बाहर

अदालत ने कहा था कि कुछ मीडिया रिपोर्ट हैं कि कैसे दावे और आपत्तियों के साथ निपटा जा रहा है और मीडिया हमेशा गलत नहीं होता है. कभी-कभी वे सही होते हैं. कृपया यह सुनिश्चित करें कि प्रक्रिया में कोई कमी न रह जाए और यह सही तरीके से किया जाए.

शीर्ष अदालत असम एनआरसी को अंतिम रूप देने के काम की निगरानी कर रही है. इसके लिए 31 जुलाई की समयसीमा तय की गई है. अदालत ने कहा था कि इस मामले पर सभी को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details