नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने अगस्त, 2017 में जोधपुर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तीसरे साल के छात्र की मौत की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने के लिये दायर याचिका पर सोमवार को राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया.
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूति बी आर गवई की पीठ ने इस छात्र की मां की याचिका पर वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सीबीआई, राजस्थान सरकार और अन्य को नोटिस जारी किये. इन सभी को 21 वर्षीय छात्र विक्रांत नगाईच की मां नीतू कुमार नगाईच की याचिका का दो सप्ताह के भीतर जवाब देना है.
पीठ ने कहा कि वह इस मामले में राजस्थान पुलिस की जांच की स्थिति के बारे में भी जानकारी चाहती है.
इस याचिका में विक्रांत की मृत्यु की जांच जयपुर स्थित अपराध शाखा से सीबीआई को स्थानांतरित करने के साथ ही इस अस्वाभाविक मौत की गुत्थियां सुलझाने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.
याचिका में दावा किया गया है विक्रांत की मृत्यु के मामले में करीब दस महीने के विलंब के बाद जून, 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गयी. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जांच के ढुलमुल रवैये से इस आशंका को बल मिलता है कि यह सब कुछ रसूखदारों की मिलीभगत का नतीजा है.
विक्रांत की मां की ओर से अधिवक्ता सुनील फर्नाण्डीज ने बहस के दौरान दलील दी कि तीन साल के विलंब के बावजूद इस मामले में अभी तक अदालत में आरोपपत्र दाखिल नहीं हुआ है. जांच का काम जस का तस है और अपराधियों को पकड़ने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि 13 अगस्त,2017 को विक्रांत अपने दोस्तों के साथ विश्वविद्यालय परिसर से करीब 300 मीटर दूर एक रेस्तरां में गया था लेकिन वह वहां से वापस नहीं आया और अगले दिन सुबह नजदीक में रेलवे लाइन पर उसका शव मिला.
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याचिका के अनुसार पुलिस ने अभी तक गूगल या फेसबुक से भी संपर्क नहीं किया और न ही मृतक छात्र के मोबाइल फोन का डाटा ही प्राप्त करने का प्रयास किया जो 13 अगस्त, 2017 की रात उसके आवागमन के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने में मददगार हो सकता था.