दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड: जांच पूरी करने के लिए SC ने CBI को दिया तीन महीने का वक्त

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले पर जांच के लिए तीन महीने का समय दिया है. साथ ही लड़कियों से हिंसा के वीडियो की रिकार्डिंग की भी जांच करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ( फाइल फोटो)

By

Published : Jun 3, 2019, 3:32 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सोमवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बहुचर्चित आश्रय गृह कांड में हत्या के सभी पहलूओं पर तीन महीने के अंदर जांच पूरी करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने दिया सीबाीआई को समय

न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने सीबीआई को इस आश्रय गृह में अप्राकृतिक यौनाचार के आरोपों की भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत और लड़कियों से हिंसा के वीडियो की रिकार्डिंग की भी जांच करने का निर्देश दिया है.

इसके अलावा पीठ ने इस घटना में शामिल बाहरी लोगों की भूमिका को लेकर भी जांच करने का निर्देश दिया है.

आपको बता दें कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट के बाद मुजफ्फरपुर में एक गैर सरकारी संस्था द्वारा संचालित एक आश्रय गृह में अनेक लड़कियों के कथित यौन शोषण और उनसे बलात्कार करने की घटनायें सामने आयी थीं.

इससे पहले न्यायलय ने सीबीआई को इसी आश्रय की 11 लड़कियों का हत्या के मामले में भी 3 जून तक जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा था.

पढ़ें- डॉ. हर्षवर्धन साइकिल से पहुंचे मंत्रालय, संभाला कार्यभार

गौरतलब है कि सीबीआई ने न्यायालय से कहा था कि हत्या के पहलू की जांच पूरी करने के लिये उसे दिया गया दो सप्ताह का समय पर्याप्त नहीं है. जांच ब्यूरो ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और उसके साथियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी.

इसके अलावा जांच एजेन्सी ने यह भी कहा था कि मुजफ्फरपुर में एक श्मशान भूमि से उसने ‘हड्डियों की पोटली बरामद की है.

मुजफ्फरपुर आश्रय गृह कांड की जांच उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपी थी. जांच ब्यूरो ने इस मामले में बृजेश ठाकुर सहित 21 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है.

शीर्ष अदालत ने इस साल फरवरी में इस मामले को बिहार की अदालत से दिल्ली के साकेत जिला अदालत में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून के तहत सुनवाई करने वाली अदालत में स्थानांतरित कर दिया था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details