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नगालैंड में जारी रहेगा इनर लाइन परमिट सिस्टम, इसके खिलाफ याचिका खारिज

भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि उन्होंने नगालैंड में हो रहे इनर लाइन परमिट के विस्तार को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी. न्यायालय ने उनको सरकार से बात करने को कहा है. जानें क्या है पूरा मामला...

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Published : Jul 2, 2019, 7:26 PM IST

ईटीवी बारत से बात करते अश्विनी उपाध्याय

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और नागालैंड सरकार को नए क्षेत्रों में इनर लाइन परमिट (ILP) का विस्तार नहीं करने और इसे वापस लेने की व्यवहार्यता का पता लगाने दायर की गई एक याचिका खारिज कर दी.

भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में (ILP) लगाने के कारण दीमापुर में रहने वाले गैर-नागाओं के जीवन और स्वतंत्रता, संपत्तियों और अन्य मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने के लिए निर्देश दिया गया था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि हमने कोर्ट में यह याचिका इस लिए दी थी क्योंकि नगालैंड में आज भी परमिट प्रणाली लागू है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.

ईटीवी भारत से बात करते अश्विनी उपाध्याय

याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि नागालैंड में इस प्रक्रिया को इसलिए लागू किया गया था ताकि नगालैंड के लोगों और उनकी संस्कृति को नुकसान न हो. लेकिन मौजूदा समय में नागा समुदाय के लोग बचे ही नहीं हैं. उन्होंने ईसाई धर्म को अपना लिया है और अंग्रेजी भाषा बोलते हैं. ऐसे में वहां परमिट सिस्टम की कोई जरूरत ही नहीं है.

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अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि न्यायालय में याचिका रद्द होने के बाद अब वो इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफियू रियो को पत्र लिखेंगे.

बता दें कि ( ILP ) भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है. यह एक ट्रेवल दस्तावेज होता है जो देशी और विदेशी ट्यूरिस्ट को प्रॉटेक्ट एरिया (संरक्षित क्षेत्र) में जाने के लिए परमिट देता है. यह परमिट तय समय सीमा और कुछ लोगों के लिए ही मान्य होता है.

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