कोलकाता : सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार जूट उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सहयोग कर रही है. केंद्र सरकार के इस कदम से जूट उत्पादकों की उम्मीदों को नए पंख मिल गए हैं. खत्म होते जूट उद्योग के फिर से पनपने की संभावना बढ़ गई है.
वहीं जूट उत्पादक रतन बिस्वास का कहना है, 'अगर हम प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर दें और जूट पर ज्यादा ध्यान दें, तो हमें काफी हद तक फायदा होगा.' पश्चिम बंगाल के नादिया और उत्तर 24 परगना जिले शुरू से ही जूट की खेती का मुख्य क्षेत्र रहे हैं.
जूट की खेती करने वालों की समस्याओं को दूर करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के प्रयास में केंद्र ने पश्चिम बंगाल जूट आयुक्त से इस क्षेत्र की समस्याओं और उनके समाधान पर एक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है.
बता दें कि रिपोर्ट बड़े पैमाने पर जूट आधारित उद्योगों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कानून और उसमें होने वाले संशोधन पर आधारित होगी.
इस रिपोर्ट का उद्देश्य उच्च उपज जूट की खेती के लिए पर्याप्त पानी और विकसित किस्म के बीजों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना है.
नादिया के जूट उत्पादक अब केंद्र और राज्य सरकार, दोनों के सकारात्मक कदमों पर उम्मीद जता रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि तैयार जूट उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी से अंततः जूट की खेती की वृद्धि पर प्रभाव पड़ेगा.
जूट उत्पादक सुकुमार मंडल ने कहा, 'यदि हम सभी जूट से बने उत्पादों का उपयोग शुरू करते हैं, तो हमें अधिक लाभ होगा. हमें यह समझने की जरूरत है कि प्लास्टिक हमारे पूरे देश को नुकसान पहुंचा रहा है.'
यदि देश बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग शुरू करता है, तो किसानों को आर्थिक रूप से आशीर्वाद मिलेगा.
प्लास्टिक उत्पादों के उद्योगों में शामिल लोगों की ज्यादा संख्या केंद्र पर दबाव भी डाल रही है कि वह देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने का अपना कदम धीमा करे.
फिलहाल प्लास्टिक के उपयोग को कम करने में मिलने वाली सफलता की कुंजी प्लास्टिक उत्पादों के उपयोग में धीरे-धीरे कमी और जूट उत्पादों में वृद्धि है.
ईटीवी भारत की मुहिम से जुड़ी अन्य खबरें
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : प्लास्टिक की बोतलों से बनाई जा रहीं ईंटें
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : गंगा मैली न हो, इसलिए गौतम रोज बटोरते हैं कचरा
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : असम में बोतलों से आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : कर्नाटक की इंदिरा कैंटीन खाली बोतलों के बदले दे रही चाय
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : घर-घर जाकर प्लास्टिक जमा करता है यह इलेक्ट्रिकल इंजीनियर
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे से बचने के लिए सागौन की लकड़ी से ब्रश बनाते हैं कर्नाटक के आदिवासी
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : रायचूर की नलिनी लोगों को मुफ्त बांट रहीं कपड़े के थैले
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : कचरे के कारण दिल और फेफड़े हो रहे प्रभावित, देखें खास रिपोर्ट
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : आंध्र के इस मंदिर में प्रतिबंधित है प्लास्टिक कवर
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : आध्यात्मिक शहर तिरुपति हुआ प्लास्टिक मुक्त
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : अपनी कोशिशों से प्लास्टिक मुक्त बन रहे हैं झारखंड के गांव
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : पुदुचेरी के ग्रामीणों की पहल से आई स्वच्छता, पर्यटन के लिए हुआ लोकप्रिय
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : भोपाल को प्लास्टिक मुक्त बनाने की ओर एक कदम...
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : मध्य प्रदेश के बैतूल में नगर निगम ने बनाया 'बर्तन बैंक'
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : लकड़ी की कंघी बनाने के लिए मशहूर हैं उज्जैन के छगनलाल
नो टू सिंगल यूज प्लास्टिक : संकल्प की मिसाल बना इंदौर का 'ब्लू विलेज,' देखें खास रिपोर्ट