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तमिलनाडु की सियासत : शशिकला के NDA में आने से खफा आरएसएस विचारक!

आरएसएस विचारक और तुगलक के संपादक एस गुरुमूर्ति, वीके शशिकला और AIADMK के वफादारों के लिए बलि का बकरा बन गए हैं. दरअसल, DMK को सत्ता से बाहर रखने के लिए शशिकला के भतीजे ने शशिकला के AIADMK के साथ आने की वकालत की, जिस पर एस गुरुमूर्ति ने मक्कल मुनेत्र कझगम (AMMK) की तुलना सीवर से कर डाली.

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Published : Jan 16, 2021, 9:56 PM IST

डिजाइन फोटो
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चेन्नई : जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं सत्तारूढ़ AIADMK और दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की विश्वासपात्र वीके शशिकला के बीच दुरियां कम होती जा रही हैं. लेकिन, आरएसएस विचारक और तुगलक के संपादक एस गुरुमूर्ति को DMK को हराने और AIADMK को मजबूत करने के लिए शशिकला का NDA में आना रास नहीं आ रहा है.

उन्होंने अपने एक बयान में शशिकला के परिवार की तुलना 'सीवर' से की, जिसने आग में घी डालने का काम किया है.

दोनों गुटों के एक साथ आने को सही ठहराते हुए, उन्होंने तर्क दिया कि एंटी-इनकंबेंसी रोकने लिए AIADMK और भाजपा दोनों को मिलकर DMK का सामना करना होगा.

गुरुवार को तुगलक पत्रिका की 51वीं वर्षगांठ पर एक पाठक के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब घर में आग लगी होती है, तो हम गंगा जल की प्रतीक्षा नहीं करते हैं, लेकिन जो कुछ भी मिलता है, उससे आग बुझाने की कोशिश करते हैं. यहां तक कि सीवर भी डालते हैं.

गौरतलब है कि उन्होंने यह टिप्पणी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में की.

हालांकि, एक दिन बाद उनहोंने इस मामले में स्पष्टिकरण देते हुए कहा मैं अभी भी DMK (AMMK) को मन्नारगुडी माफिया के रूप में मानता हूं. यहां तक कि अगर वे भाजपा-एडीएमके गठबंधन का हिस्सा बन जाते हैं, तो मैं उन्हें केवल माफिया के रूप में मानूंगा, जैसे कि हम चंद्रस्वामी को सीवर मानते थे. हम तुगलक में मन्नारगुडी परिवार को माफिया के रूप में मानते रहेंगे और हमारी राय नहीं बदलेगी.

बता दें कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 'मन्नारगुडी माफिया' शब्द गढ़ा था.

वहीं आरएसएस के विचारक की ओर इशारा करते हुए, AIADMK के प्रवक्ता वी पुगझेंधी ने कहा कि तुगलक के संपादक गुरुमूर्ति के लिए बेहतर है कि वह AIADMK के मामलों में बयानबाजी न करें.

शशिकला को पार्टी में शामिल करने पर कोई भी फैसला मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी (ईपीएस), पार्टी के सह-समन्वयक और डिप्टी सीएम ओ पन्नीरसेल्वम, समन्वयक के साथ निहित है.

इस मामले में शशिकला के भतीजे और एएमएमके के महासचिव टीटीवी धिनकरन ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया और कहा कि यह तमिलनाडु के लोग हैं, जो तय करेंगे कि गंगा जल और सीवर कौन है. इस तरह की उपमाएं उनके मानकों को धोखा देती हैं.

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यह पहली बार नहीं है जब गुरुमूर्ति को एआईएडीएमके से टकराव का सामना करना पड़ा है.

इससे पहले 2017 में गुरुमूर्ति को एआईएडीएमके के विरोध का सामना करना पड़ा था. हालांकि पहले की ही तरह इस बार भी अन्नाद्रमुक नेतृत्व गुरुमूर्ति की सलाह पर चुप्पी साधे हुए है.

बता दें कि AMMK ने 2019 लोकसभा चुनावों में 5.25 प्रतिशत वोट हासिल थे, जबकि 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में, AIADMK और DMK के बीच केवल एक प्रतिशत वोट का अंतर था. इसलिए यहां शशिकला का महत्व बढ़ जाता है.

उल्लेखनीय है कि शशिकला के इस महीने के अंत में बेंगलुरु जेल से रिहा होने की उम्मीद है.

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