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'RTI से विवादास्पद मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करना असंभव'

भारत सरकार द्वारा आरटीआई अधिनियम में बदलाव के बाद देश भर के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाया. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय संयोजक सरबजीत रॉय ने दावा किया है कि सार्वजनिक सूचना अधिकारीयों की कार्यप्रणाली में कई अनियमितताएं हैं. पढ़ें पूरी खबर...

सरबजीत रॉय

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Published : Oct 13, 2019, 8:49 AM IST

Updated : Oct 13, 2019, 2:34 PM IST

नई दिल्लीः गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि उनकी सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठाए हैं. हालांकि, आरटीआई कार्यकर्ता इस दावे से सहमत नहीं है.

शनिवार को इंडिया अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय संयोजक सरबजीत रॉय ने दावा किया कि सार्वजनिक सूचना अधिकारी (पीआईओ) विवादास्पद मामले पर जानकारी नहीं देते हैं , 'बल्कि वे अपने विभाग को बचाने में रुचि रखते हैं.'

इंडिया अगेंस्ट करप्शन के राष्ट्रीय संयोजक सरबजीत रॉय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा, यह सच है कि सार्वजनिक डोमेन पर बहुत सारी जानकारी है. लेकिन विवादास्पद मुद्दों पर जानकारी प्राप्त करना असंभव है. पीआईओ को जानकारी देनी चाहिए लेकिन वे अपने विभाग का बचाव करने में रुचि रखते हैं.

सरबजीत रॉय और सुभाष चंद्र अग्रवाल की ईटीवी भारत से बातचीत

आपको बता दें, 2011 में रॉय और उनके आंदोलन ने हजारों नागरिकों को भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क पर लाया था.

रॉय ने स्पष्ट रूप से गृह मंत्री अमित शाह के बयान का खंडन किया गया है. शाह ने कहा था कि केंद्र में सरकार द्वारा किए गए बदलावों से आरटीआई आवेदनों में कमी आई है.

पढ़ें-ऐसी व्यवस्था हो कि आरटीआई लगाने की जरूरत ही न पड़े : अमित शाह

रॉय ने कहा, 'आरटीआई शासन को नागरिकों को सूचना न देकर सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा नष्ट कर दिया गया है.' उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी आरटीआई का फैसला दिया है 'लेकिन पीआईओ इसका दुरुपयोग कर रहे हैं.'

गौरतलब है रॉय 2005 में आरटीआई अधिनियम के प्रारूपण में शामिल थे.

एक अन्य आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने कहा कि आरटीआई शुल्क के मामले में एकरूपता होनी चाहिए. अग्रवाल ने कहा, 'राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर एक समान फीस निश्चित रूप से आरटीआई के दुरुपयोग को रोक सकती है.'

इस बीच, सतार्क नागरिक संगठन और सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज द्वारा संकलित भारत में सूचना आयोग के प्रदर्शन पर एक रिपोर्ट कार्ड से पता चला है कि सरकारी अधिकारियों को आवेदकों द्वारा उनके द्वारा मांगी गई वैध जानकारी से इनकार करके कानून का उल्लंघन करने के लिए शयद ही किसी भी सजा का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट कार्ड में कहा गया है कि राज्य और केंद्रीय सूचना आयोग, जो अधिनियम के तहत अपील की अदालतें हैं, लगभग 97 प्रतिशत मामलों में जुर्माना लगाने में विफल रहीं हैं जहां 2018-19 में उल्लंघन हुए थे.

Last Updated : Oct 13, 2019, 2:34 PM IST

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