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प्रज्ञा ठाकुर ने करकरे पर टिप्पणी के लिए माफी मांगी

बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मुंबई एटीएस के प्रमुख रहे शहीद हेमंत करकरे पर अपनी विवादित टिप्पणी आज वापस ले ली. प्रज्ञा ने इसके लिए माफी मांगी.

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Published : Apr 19, 2019, 11:01 PM IST

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (बीजेपी)

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश की भोपाल संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने मुंबई एटीएस के प्रमुख रहे शहीद हेमंत करकरे पर अपनी विवादित टिप्पणी आज वापस ले ली. उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी है.

करकरे को लेकर दिए गए बयान पर देश भर से आई प्रतिक्रियाओं के बाद प्रज्ञा ने रात होते-होते यू-टर्न ले लिया. प्रज्ञा ने संवाददाताओं से कहा, "जो मैंने कहा था वह मेरी व्यक्तिगत पीड़ा थी, जो मैंने सुनाई थी. मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपना बयान वापस लेती हूं, और माफी मांगती हूं."

2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी ठाकुर ने कहा कि उन्हें लगा कि "देश के दुश्मन इससे खुश हो रहे हैं, इसलिए मैं अपने बयान को वापस ले रही हूं और माफी भी मांगती हूं."

ज्ञात हो कि प्रज्ञा ने कहा था कि उन्होंने करकरे को श्राप दिया था और उसी के चलते वह आतंकवादियों के शिकार बने. प्रज्ञा के इस बयान की चौतरफा निंदा हो रही है. जबकि भाजपा ने इसे भावनात्मक बयान बताया है.

मालेगांव बम विस्फोट के आरोप में गिरफ्तारी और उन पर हुई कार्रवाई के बारे में प्रज्ञा ने कोलार क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से बातचीत की. उन्होंने कहा, "उन दिनों मुंबई जेल में थी.

जांच आयोग ने सुनवाई के दौरान एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि जब प्रज्ञा के खिलाफ कोई सबूत नहीं है तो उन्हें छोड़ क्यों नहीं देते. तब हेमंत ने कई तरह के सवाल पूछे, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि इसे भगवान जाने. इस पर करकरे ने कहा कि तो क्या मुझे भगवान के पास जाना होगा."

प्रज्ञा ने कहा, उस समय मैंने करकरे से कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था और सवा माह के भीतर ही आतंकवादियों ने उसे मार दिया था.

हिदू मान्यता है कि परिवार में किसी का जन्म या मृत्यु होने पर सवा माह का सूतक लगता है. जिस दिन करकरे ने सवाल किए, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था, जिसका अंत आतंकवादियों द्वारा मारे जाने से हुआ.

26 नवंबर, 2008 को मुंबई में आतंकवादियों ने हमला किया था. इन आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए हेमंत करकरे शहीद हुए थे.

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