नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप पर गहरी चिंता जताते हुए सार्क देशों से कहा कि इस महामारी से जूझने के लिए सभी को रणनीति बनानी होगी. पीएम मोदी के इस ट्वीट के बाद पाकिस्तान को छोड़ कर सभी सार्क देशों के नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी है और प्रधानमंत्री की अपील पर साथ आने पर सहमति व्यक्त की है.
पीएम ने कहा था कि अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सार्क देशों के साथ चर्चा को आगे बढ़ा सकते हैं. इसके बाद सार्क देश आगे आए हैं.
श्रीलंका
श्रीलंका राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा कि कोरोना वायरस के मसले पर श्रीलंका बात करने को तैयार है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे वक्त पर शानदार मुहिम की शुरुआत की है. इस मामले पर हमें एक जुट होने की जरूरत है ताकि हम अपने नागरिकों को सुरक्षित रख सकें.
गोटाबाया राजपक्षे का ट्वीट भूटान
गोटाबाया के अलावा भूटान के प्रधानमंत्री ने भी पीएम मोदी की अपील पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि इसे कहते हैं नेतृत्व. सदस्य होने के नाते ऐसे समय में हम सबको एक जुट होना चाहिए. आर्थिक नुकसान हो रहा है, हमें एक दूसरे से सहयोग करना होगा.
मालदीव
वहीं मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया किया और ट्वीट में लिखा कि कोरोना वायरस को हराने के लिए सभी को एकसाथ आने की जरूरत है. हम क्षेत्रीय एकता दिखाने की मुहिम का समर्थन करते हैं.
कोरोना वायरस : मोदी ने सार्क देशों से किया मिलकर लड़ने का आह्वान
नेपाल
इसके अलावा नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने भी ट्वीट किया. उन्होंने कहा, 'मैं कोरोनावायरस से लड़ने के लिए सार्क देशों के नेतृत्व द्वारा एक मजबूत रणनीति तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए विचार का स्वागत करता हूं. मेरी सरकार हमारे नागरिकों को इस घातक बीमारी से बचाने के लिए सार्क सदस्य राज्यों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है.'
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता सादिक सिद्दिकी ने बताया कि अफगान सरकार भारत के प्रधानमंत्री के प्रस्ताव का स्वागत करती है और क्षेत्र में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एकीकृत रणनीति तैयार करने के लिए मिलकर काम करना चाहती है.
संयोग से इस साल एक श्रीलंकाई राजनयिक ने सार्क महासचिव के रूप में पदभार संभाला है, लेकिन भारत ने हाल ही में कोलंबो के साथ आधिकारिक वार्ता में समूह के पुनरुद्धार के प्रति कोई उत्साह नहीं दिखाया. नवंबर 2014 में काठमांडू सार्क सम्मेलन के दौरान आगे बढ़ने वाले उप-क्षेत्रवाद की आवश्यकता पर बल देने वाले पीएम मोदी ने वैकल्पिक क्षेत्रीय मंच के रूप में बिम्सटेक पर अधिक जोर दिया. मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन या बिम्सटेक के लिए बंगाल इनिशिएटिव की खाड़ी में सात सदस्य हैं, जिनमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल और भूटान के सभी सार्क सदस्य शामिल हैं.
सामूहिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर जोर देते हुए पीएम मोदी का ट्वीट उस दिन आता है जब मिशन के लिए 100 प्रमुखों सहित 130 से अधिक देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने विदेश मंत्रालय, गृह और परिवार कल्याण और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक की.
प्रधानमंत्री मोदी के सार्क प्रस्ताव का स्वागत करते हुए, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के समीर सरन ने ट्वीट किया, "बहुत महत्वपूर्ण ... #SAARC तक पहुंच .... एकजुटता, आपूर्ति की कमी और अनुभव साझाकरण बहुत उपयोगी होगा. सीमाओं के पार जाने वाले समुदायों को ऐसे दृष्टिकोणों की आवश्यकता होती है जो इस भेद द्वारा सीमित नहीं हैं. #CoronaOutbreak। "
क्या राजनीतिक मतभेदों से भरे सार्क देशों के बीच इस मानवीय दृष्टिकोण की पहल से कुछ सकारात्मक उम्मीद की जा सकती है, यह देखना बाकी है.