मुंबई : लद्दाख में भारत और चीनी सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इस बाबत शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने अपने अग्रलेख में केंद्र सरकार पर हमला बोला है. 'सामना' ने कहा कि यह युद्ध नहीं बल्कि दो देशों के सैनिकों के बीच हुई मारपीट है. ऐसा कहा जा रहा है कि मारपीट में हमारे 20 जवान शहीद हुए जबकि चीन के लगभग 40 जवान मारे गए. मतलब दो देशों की सीमा पर जो कुछ हाथ में आया, उसी हथियार से लड़ रहे हैं. सिर फोड़ रहे हैं. भारत-चीन सीमा का यह संघर्ष और हमला 50 सालों बाद शुरू हुआ और 20 जवानों की शहादत के बावजूद वस्तुस्थिति बताने के लिए देश के प्रधानमंत्री का जनता के सामने न आना पीड़ादायक है.
'सामना' के अग्रलेख के अनुसार पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी सीमा पर सोमवार की रात भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए. ऐसा अधिकृत रूप से कहने में बुधवार की सुबह हो गई. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. जैसे को तैसा उत्तर देने में हम सक्षम हैं. फिर भी गलवान गाटी में क्या हुआ? चीन की सीमा पर क्या हो रहा है? यह अब तक जनता को नहीं बताया गया है. सूत्र कहते हैं कि चीन के कमांडिंग ऑफिसर और उसके 30-40 सैनिक मारे गए. अब चीन के सैनिक मारे गए, इस पर खुश होकर हम सिर्फ ताली बजाते बैठें क्या? चीन का नुकसान हुआ, यह स्वीकार है, लेकिन भारत की सीमा में चीनी सेना घुस आई है. यह सच होगा तो चीन ने हिन्दुत्व की संप्रभुता पर आघात किया है.
इसके पहले 1975 में चीन की सेना अरुणाचल प्रदेश में घुस आई थी और वहां पर गोलीबारी की थी. इस गोलीबारी में भारत के चार सैनिक शहीद हो गए थे. उसके बाद से अब तक की यह सबसे बड़ी झड़प सीमा पर हुई है. किसी भी प्रकार के हथियार बंदूक, अस्त्र, टैंक आदि का प्रयोग न करते हुए दोनों तरफ की इतनी बड़ी सैन्य हानि होनी है तो रक्षा उत्पादन और परमाणु बम क्यों बनाएं? हम पाषाण युग के पत्थरों से होने वाली जैसी लड़ाई में एक-दूसरे की जान ले रहे हैं. लद्दाख की सीमा पर यही देखने में आया.
संपादकीय में कहा गया कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से देश अधिक मजबूत, गंभीर और लड़ाकू तेवर का हुआ है. ऐसा दावा तीन वर्षों में कई बार किया गया, लेकिन इस दौरान पाकिस्तान, नेपाल और अब चीन ने भारत पर सीधे-सीधे हमला किया है. भारत की सीमा से सटे किसी भी देश से हमारे अच्छे संबंध नहीं हैं और हमारे सत्ताधीश दुनिया जीतने निकले हैं, इस पर आश्चर्य होता है. नेपाल ने भारत का नक्शा कुतरा है. पाकिस्तान की मस्ती सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी जारी है. चीन तो एक फंसाने वाला और मायावी देश है ही, लेकिन नेपाल भी भारत की ओर टेढ़ी नजर से देखकर चुनौती दे रहा होगा तो विश्वनेता और महासत्ता आदि बनने की ओर अग्रसर हमारे देश की अवस्था ठीक नहीं है, यह मानना होगा.