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उत्तराखंड की जंगलों में लगी आग पर सोशल मीडिया में फैली अफवाह, जानिए क्या है पूरा सच

उत्तराखंड के जंगलों में आग की खबर इन दिनों सोशल मीडिया पर 'आग' की तरह फैली है, लेकिन विभागीय अधिकारी इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि जो अफवाह सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही है, हकीकत उससे कहीं जुदा है.

fire in uttarakhand forest
उत्तराखंड के जंगलों में आग का पूरा सच

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Published : May 28, 2020, 9:58 AM IST

देहरादून:उत्तराखंड में वनाग्नि को लेकर हालात भयावह बताए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर प्रदेश के जंगलों में लगी आग खूब ट्रेंड कर रही है. लेकिन हकीकत यह है कि वनों में आग बेकाबू होने जैसे हालातों से बेहद दूर है. ये बात न केवल पिछले साल की तुलना के रूप में समझी जा सकती है, बल्कि वन महकमे के आलाधिकारी भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं. देखिये वनाग्नि पर हकीकत दिखाती ये स्पेशल रिपोर्ट.

उत्तराखंड में जंगलों की आग आज सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय मुद्दा बनती दिख रही है. यहां वनाग्नि को बेहद भयावह दिखाने की कोशिश करते हुए इसके बेकाबू होने जैसे हालातों को बताया जा रहा है, लेकिन कोई यह जानने की कोशिश तक नहीं कर रहा कि आखिर इसमें कितनी सच्चाई है.

सोशल मीडिया पर फैली खबरों को लेकर उत्तराखंड के वन संरक्षक का बयान और ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ईटीवी भारत ने वनाग्नि को ट्रेडिंग में चलता देख जब इसकी मौजूदा स्थिति को जनना चाहा तो पता चला कि लाखों हेक्टेयर जंगल जलने या जंगलों के बर्बाद होने जैसी तस्वीर बनाने की बातें पूरी तरह निराधार हैं. आंकड़े तस्दीक करते हैं कि उत्तराखंड में मौजूदा वनाग्नि की घटनाएं वन विभाग के काबू में हैं और हालात जितने खराब बताए जा रहे हैं उतने हकीकत में है नहीं.

पुलिस महानिदेश का बयान

मुख्यमंत्री की अपील

इस मामले पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि यह उत्तराखंड की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है, जबकि हकीकत में ऐसा बिल्कुल नहीं है. उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर जिन तस्वीरों को शेयर किया जा रहा है, वो चिली और चीनी जंगलों की हैं. उन्होंने सभी से अपील करते हुए कहा है कि इस तरह की अफवाहों पर विश्वास न करें.

आंकड़े बयां कर रहे सच्चाई

वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पिछले साल मई माह तक 1600 हेक्टेयर जंगल वनाग्नि की भेंट चढ़ गए थे, जबकि इस बार 81 हेक्टेयर जंगल में आग लगी है. प्रमुख वन संरक्षक जयराज बताते हैं कि प्रदेश में अब तक 62 आग लगने की घटना जंगलों में हो चुकी है. जिसमें 2 लाख 19 हजार का नुकसान हुआ है, जबकि जंगलों में लगी आग पूरी तरह से वन विभाग के कंट्रोल में है और सभी जगह पर वन कर्मी आग बुझा रहे हैं.

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उत्तराखंड में फिलहाल वनाग्नि की घटनाएं पिछले सालों की तुलना में बेहद कम हैं, लेकिन मौसम विभाग की भविष्यवाणी यह बताती है कि आने वाले दिनों में वन विभाग की वनाग्नि को लेकर चुनौतियां काफी ज्यादा बढ़ने वाली हैं.

राज्य में जंगलों में लगी आग की 62 घटनाओं में से 37 घटनाएं रिजर्व फॉरेस्ट की हैं, जबकि 25 घटनाएं वन पंचायत क्षेत्रों में हुई है. इसमें वन पंचायत क्षेत्र में स्थित 50.25 हेक्टेयर जंगल में आग लगी हैं. उधर, वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए सैटलाइट इमेजेस का उपयोग किया जा रहा है. राज्य के हर डिवीजन में मास्टर कंट्रोल रूम भी स्थापित किए गए हैं. आग की घटनाएं अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर और पौड़ी जिले में स्थित जंगलों में ज्यादा लगी है. वहीं, 15 से 20 जून तक का समय वनाग्नि के लिहाज से वन महकमे के लिए चुनौतिपूर्ण समय बना हुआ है.

वहीं, उत्तराखंड पुलिस भी इस मामले पर सख्त है. डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि इन झूठी खबरों के पीछे एक संगठित गिरोह काम कर रहा है जो आग के बहाने फंड इकट्ठा करने की जुगत में जुटा है. ऐसे लोगों के खिलाफ उत्तराखंड पुलिस कार्रवाई करने जा रही है.

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